वैदिक समागम श्रृद्धापूर्वक संपन्न

सावन मास के अवसर पर ब्रह्मलीन गृहस्थ संत पंडित श्री देव प्रभाकर शास्त्री दद्दा जी महाराज के कृपा पात्र गृहस्थ संत श्री केशव गिरी महाराज जी के पावन सानिध्य में सागर सांसद डॉ. लता गुड्डू वानखेड़े द्वारा मकरोनिया स्थित वैदिक वाटिका में आयोजित श्री रुद्र महायज्ञ, असंख्य शिवलिंग निर्माण और श्री शिव महापुराण कथा का भव्य समापन सोमवार को पूर्ण श्रद्धा और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। सावन में सोमवार का संयोग श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है ।

हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में हुआ शिवलिंग निर्माण और रुद्राभिषेक”

कार्यक्रम के समापन दिवस पर हजारों की संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे उपस्थित हुए और सामूहिक रूप से असंख्य शिवलिंगों का निर्माण किया। भक्तों ने भक्ति से सराबोर होकर रुद्राभिषेक किया और भगवान शिव की कृपा प्राप्त की। मिट्टी से बनाए गए इन शिवलिंगों के माध्यम से श्रद्धालुओं ने न केवल परंपरा का पालन किया बल्कि अपने जीवन में सुख-शांति और स्वास्थ्य की कामना भी की।

कथा के विश्राम दिवस पर संत केशव गिरी महाराज जी ने मां नर्मदा की महिमा का वर्णन किया और कहा कि “मां नर्मदा के तट पर शिवलिंग निर्माण करने से अनगिनत गुना पुण्य प्राप्त होता है। सतयुग में मणि लिंग के पूजन होता था, त्रेता में स्वर्ण लिंग का पूजन होता था द्वापर में पारद के शिवलिंग पूजे जाते थे, किंतु कलयुग में मिट्टी से बने शिवलिंग का भी उतना ही महत्व है।”

“विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति”

कथा के अंतिम दिन मध्यप्रदेश शासन के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत अपने पूरे परिवार सहित उपस्थित रहे। साथ ही पूर्व मंत्री एवं रहली विधायक पं. गोपाल भार्गव, बीना विधायक श्रीमती निर्मला सप्रे, सागर विधायक की धर्मपत्नी श्रीमती अनुश्री जैन, देवरी विधायक की ओर से उनकी सुपुत्री, पूर्व विधायक श्रीमती पारुल साहू, पूर्व विधायक महेश राय, श्रीमती विनोद पंथी, समाजसेविका श्रीमती मीना पिपलापुरे, पूर्व महापौर अभय दरे, पूर्व जिला अध्यक्ष हरिराम सिंह ठाकुर, पार्षद मेघा दुबे, शैलेश केशरवानी, याकृति जड़िया, पूजा सोनी, अनिल तिवारी, उत्तम सिंह ठाकुर, वीरेंद्र पाठक सहित क्षेत्र के कई प्रमुख जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। इन सभी गणमान्य अतिथियों ने व्यास पीठ का पूजन कर गुरुजनों से आशीर्वाद प्राप्त किया और रुद्राभिषेक कर कथा श्रवण का पुण्य प्राप्त किया।

“संत केशव गिरी महाराज ने दी आध्यात्मिक शिक्षा और जीवन के सूत्र”

संत केशव गिरी महाराज ने श्रद्धालुओं को शिव भक्ति का महत्व बताते हुए कहा कि “भगवान शंकर की सच्ची पूजा तभी संभव है जब व्यक्ति त्रिपुंड लगाकर, रुद्राक्ष की माला धारण कर, भस्म से शरीर को विभूषित कर पूजा करे। माथे पर चंदन, मुख पर शिव का नाम और जीवन में माता-पिता की सेवा करने वाला व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता क्योंकि ऐसे व्यक्ति पर शिव की विशेष कृपा होती है।” माता-पिता ब्रह्मा विष्णु भगवान का प्रतिनिधित्व करते हैं उनकी सेवा हमें सदैव सेवा करनी चाहिए इससे भगवान प्रसन्न होते हैं, माता-पिता में ही समस्त देवताओं का वास होता है।

उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में बच्चों की संगति पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि बच्चा घर से नहीं, संगति से बिगड़ता है। यदि संगति अच्छी हो, तो संस्कार अच्छे होंगे और अच्छे संस्कार ही घर, परिवार और समाज को ऊंचाई तक ले जाते हैं।

“गुरुओं का अद्वितीय मिलन: जब वृंदावन से पधारे संत किशोर दास जी” 

कथा के अंतिम दिन वृंदावन से पधारे संत श्री किशोर दास जी महाराज का आगमन भी हुआ संत किशोर दास जी ने व्यास पीठ पर विराजमान संत केशव गिरी महाराज का आत्मीय स्वागत किया, और संत केशव जी ने भी उन्हें श्रद्धा के साथ नमन किया। संत किशोर दास जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संक्षिप्त शुभाशीष देते हुए कहा, “यदि हमारा चित्त भगवान के चरणों में स्थिर हो जाए तो यह जीवन सफल हो जाता है। भक्ति ही हमें भवसागर से पार ले जाती है।” उन्होंने श्रद्धालुओं को ब्रह्मलीन संत पं. देव प्रभाकर शास्त्री ‘दद्दा जी’ द्वारा प्रारंभ किए गए शिवलिंग निर्माण का स्मरण कराते हुए बताया कि संत केशव गिरी जी उस कार्य को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने नरसिंह भक्त की एक प्रेरणादायक कथा भी सुनाई, जिसे श्रद्धालुओं ने बड़ी भक्ति भाव से श्रवण किया।

“शिव रूपों पर आधारित नृत्य नाटिकाओं ने मोहा मन”

 कार्यक्रम के प्रारंभ में नृत्य कलाकारों ने भगवान शिव के विभिन्न रूपों पर आधारित भक्ति-नाटिकाएं और नृत्य-प्रस्तुतियां दीं। इनमें से कुछ विशेष प्रस्तुतियों शिव की भस्म विभूषित तपस्वी रूप को नाटकीय शैली में जीवंत किया गया, जिसे उपस्थित श्रद्धालुओं ने तालियों की गूंज से सराहा।

“सांसद डॉ. लता गुड्डू वानखेड़े का समर्पित आभार और संकल्प”

 सफल आयोजन के पश्चात सांसद डॉ. लता गुड्डू वानखेड़े ने सभी सहयोगियों,और स्नेहीजनों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि जनमानस को जोड़ने वाला आत्मिक उत्सव है। इसकी प्रेरणा मुझे परम पूज्य ब्रह्मलीन संत पं. देव प्रभाकर शास्त्री ‘दद्दा जी’ से मिली, जिन्होंने शिव महापुराण कथा और रुद्र महायज्ञ का संदेश भारत से बाहर भी फैलाया। आज संत केशव गिरी महाराज उस पथ को आगे बढ़ा रहे हैं और मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानती हूं कि उनके निर्देशन में यह आयोजन संभव हो सका।”

उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल श्रद्धा का विषय नहीं, बल्कि धर्म के पथ पर चलने का दृढ़ संकल्प भी है।

अभिषेक सामग्री की व्यवस्था को नितेश गुप्ता ने भोजन व्यवस्था बंडा शिष्य मंडल के सदस्य वीरेंद्र सिंह सोलंकी, श्रीकांत सराफ धर्मेंद्र सिंह परासिया ने संभाली।