ध्वनि विस्तार को लेकर सारे धर्म गुरु एक मंच पर

राज्य शासन द्वारा ज़ारी हुए निर्देशों के बाद सागर कलेक्टर दीपक आर्य ने सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ बैठक आयोजित की. कलेक्टर श्री आर्य ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जो कई मानसिक बीमारियों का कारण बन रहा है. साथ ही बच्चों की पढ़ाई में भी व्यवधान पैदा करता है.

इस संबंध में राज्य शासन द्वारा म.प्र. में धार्मिक स्थल एवं अन्य स्थानों पर म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के प्रावधानों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जारी दिशा निर्देशों के अनुक्रम में निर्णय लिया गया है कि किसी भी प्रकार के धार्मिक स्थल अथवा अन्य स्थानों पर निर्धारित मापदण्ड के अनुरूप ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों (लाउडस्पीकर / डी.जे.) आदि का उपयोग किया जा सकेगा.कलेक्टर श्री आर्य ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर नियमों के पालन में धर्मगुरुओं की सहभागिता बहुत महत्वपूर्ण है. सभी धर्मगुरु अपने धार्मिक स्थानों, जुलूस, शोभायात्रा आदि के संबंध में निर्धारित ध्वनि सीमा स्तर का कड़ाई से पालन करना सुनिश्चित करें. उल्लंघन पाये जाने पर नियमों के पालन संबंधी कार्यवाही समान-रूप से की जायेगी. इसके अतिरिक्त निगरानी एवं कार्यवाही के लिए उड़नदस्तों का भी प्रयोग किया जायेगा. साथ ही डेसिबेल मीटर के माध्यम से ध्वनि की तीव्रता को जाँचा जाएगा. इस बैठक में पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने कहा कि कहा कि निर्धारित ध्वनि सीमा स्तर का कड़ाई से पालन कराया जायेगा इसमें समझाईश के उपरांत भी यदि उल्लंघन पाया जाता है तो नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी. इस कार्य हेतु उड़नदस्तों का गठन किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी एक जागरूक समाज की तरह कार्य करते हुए आपसी सहमति और स्वप्रेरणा के साथ इस आदेश का क्रियान्वयन करें. उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम दैनिक रूप से प्रयोग में ले जाने वाले लाउडस्पीकर आदि को हटाने का कार्य शुरू करें. उन्होंने बताया कि अन्य किसी आयोजन में भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग इस रूप में ही किया जाए कि ध्वनि , संबंधित परिसर से बाहर न जाए और तय मापदंडों के अनुरूप हो.

ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम

अधिकतम ध्वनि सीमा (डेसिबल में) के अन्तर्गत ध्वनि मानकों के प्रावधानों का पालन करते हुए सामान्यतः मध्यम आकार के अधिकतम 02 डीजे के प्रयोग की ही अनुमति दी जाएगी. डीजे व लाउडस्पीकर की विधिवत अनुमति सक्षम स्तर से ली जाना आवश्यक होगी. ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के अनुसार इंडस्ट्रियल एरिया में दिन के समय 75 डेसीबल और रात के समय 70 डेसीबल ,जबकि कमर्शियल एरिया में दिन के वक्त 65 डेसीबल और रात के वक्त 55 डेसीबल, रेजिडेंशियल एरिया में दिन के समय 55 डेसीबल और रात के वक्त 45 डेसीबल तथा साइलेंस जोन में दिन के समय 50 डेसीबल और रात के समय 40 डेसीबल सीमा तय की गई है. उक्त सीमा के अनुसार ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग किया जा सकेगा.