नानावती हॉस्पिटल मुंबई सहित एम्स भोपाल, बीएमसी सागर और बंसल हॉस्पिटल जैसे प्रमुख संस्थानों में अपनी सेवा देने के बाद, डॉ. मधुर ने अब भाग्योदय तीर्थ हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी विभाग की कमान संभाली है।
यह केवल एक पदभार नहीं है, यह है अपने शहर, अपनी जड़ों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक।
सागर की माटी में जन्मे, और सपनों की ऊँचाइयाँ छूने मुंबई जैसे महानगर पहुँचे डॉ. मधुर जैन ने नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से DNB कार्डियोलॉजी का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह वो क्षेत्र है जहाँ तक पहुँचना केवल ज्ञान की नहीं, तपस्या की माँग करता है। जिन्होंने नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से DNB कार्डियोलॉजी का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह वो क्षेत्र है जहाँ तक पहुँचना केवल ज्ञान की नहीं, तपस्या की माँग करता है।
डाॅ. मधुर की वापसी, न केवल सागर शहर के लिए, बल्कि हजारों हृदयों के लिए नया जीवन बनकर आई है।
सेवा का वह बीज जो पीढ़ियों से पनपा है
डॉ. मधुर जैन का यह सेवा-पथ अचानक नहीं शुरू हुआ…यह तो उनके रक्त में, उनकी परवरिश में, उनके संस्कारों में बसा हुआ है। उन्होंने अपने पिता वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश जैन को देखा जिनमें शामिल है, नरम स्वभाव, मधुर वाणी, और हर बच्चे में ईश्वर का अंश देखने वाली दृष्टि। इन्हीं संवेदनाओं और सेवा के मूल्यों को डॉ. मधुर जैन ने बाल्यकाल से जीना सीखा, और आज उसी संगठन, समर्पण और सेवा की विरासत को वो भाग्योदयतीर्थ हॉस्पिटल के हृदय विभाग में जीवंत करने जा रहे हैं।
◾️डॉक्टर मधुर सच्चे साधुबाद और बधाई के पात्र तब बने जब डॉ. मधुर जैन ने अपने शहर, अपने तीर्थ, अपने लोगों के लिए लौटने का फैसला किया। यह सिर्फ एक डॉक्टर की वापसी नहीं है, यह एक धड़कते हुए शहर को दिल मिलने की तरह है।
◾️डॉ मधुर और डॉक्टर राजेश ये दोनों हमारे शहर के अनमोल रत्न हैं और जब इन दोनों रत्नों की जड़ में हम झाँकते हैं, तो वहाँ खड़े मिलते हैं एक ज्ञानवान, सम्मानित, सरस्वती पुत्र ।
पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य के पोते हैं डाॅ. मधुर
पं. पन्नालाल जी साहित्याचार्य जिन्हें दो-दो बार महामहिम राष्ट्रपति ने सम्मानित किया, जिन्होंने जैन धर्म के मूल शास्त्रों को जीवित रखा, जिनकी वाणी में साहित्य बसता था। उनके जैसे पिता के पुत्र होना ही एक सौभाग्य है,लेकिन जब वही पुत्र सेवा और त्याग के पथ पर चलें, तो वे कुल का, परिवार का, शहर का, देश का गर्व से सिर ऊँचा करते हैं।
