ब्रह्माकुमारीज़ सेंटर में रक्षाबंधन महोत्सव आयोजित

ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के सागर सेवा केंद्र पर रक्षाबंधन पर्व अत्यंत श्रद्धा, उल्लास और आध्यात्मिक वातावरण में मनाया गया। कार्यक्रम में 300 से अधिक भाई-बहनों को राखी बाँधी गई और शुभकामनाओं के साथ ईश्वरीय प्रसाद (टोली) वितरित किया गया।

इस अवसर पर बीके छाया दीदी ने कहा “राखी केवल धागा नहीं है, यह आत्मा की पवित्रता, संकल्प और परमात्मा से जुड़ाव का प्रतीक है। जब आत्मा पवित्र होती है, तब सारे संबंध और समाज भी पावन बनते हैं।”

बीके नीलम दीदी ने कहा कि “प्राचीन काल में रानियाँ राजाओं को राखी बाँधती थीं ताकि वे धर्म और प्रजा की रक्षा करें। फिर यह परंपरा ब्राह्मणों और अब भाई-बहनों में आई। राखी हमें मर्यादा, उत्तरदायित्व और आत्मिक रक्षा का संदेश देती है।”

बीके लक्ष्मी दीदी ने कहा कि “राखी का अर्थ है आत्मा को परमात्मा से जोड़कर विकारों से रक्षा करना। जब आत्मा ईश्वर से जुड़ती है, तभी सच्चा बंधन और सुरक्षा संभव है।”

बीके कल्पना दीदी ने प्रेम और भाव की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि “सच्चे दिल पर ही साहिब राज़ी होता है, क्योंकि भगवान दिमाग वालों का नहीं, दिल वालों का होता है। ईश्वर से संबंध बनाने के लिए तर्क नहीं, भावना चाहिए।”


इस आध्यात्मिक महोत्सव की शोभा बढ़ाने हेतु बीके सीता दीदी, दीपिका दीदी, मोनिका दीदी,पार्वती दीदी, कामनी दीदी एवं संस्था से जुड़े भाई बहनें उपस्थित रहें ।


कार्यक्रम में गीत, सत्संग और प्रभु चिंतन के माध्यम से रक्षाबंधन के आध्यात्मिक अर्थ और वास्तविक उद्देश्य को सभी उपस्थित-जनों के समक्ष रखा गया। अंत में सभी ने मौनधारण कर विश्व शांति के लिए शुभ संकल्प लिए और ईश्वर से आत्मिक शक्ति प्राप्त की।