सागर : ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में मातृ दिवस आयोजित

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवाकेंद्र सागर में ब्रह्माकुमारीज महिला प्रभाग द्वारा आयोजित मातृ दिवस कार्यक्रम “सुखी एवं स्वस्थ परिवार के लिए माताओं की भूमिका” में दिल्ली से आए मशहूर गायक ब्रह्माकुमार ब्रजेश मिश्रा भाई जी उपस्थित रहे। 

सेवाकेन्द्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी छाया दीदी ने तिलक और पुष्पगुच्छ देते हुए भाई जी का स्वागत किया। जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से परमात्मा अनुभूति कराई ।

सेवाकेन्द्र प्रभारी “राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी छाया दीदी” ने मातृ शक्ति को सम्बोधित करते हुए कहा, कि माँ के अंदर जो शक्ति होती हैं, जो सिद्धि होती हैं, वह कहाँ से और कैसे आती हैं? कैसे जागृत होती हैं? वो शक्तियां हमें परम पिता परमात्मा से प्राप्त होती हैं। परमात्मा इस धरा पर आकर राजयोग सिखला रहे हैं जिससे अष्ट शक्तियां प्राप्त होती हैं। वो अष्ट शक्तियां हैं- सहन करने की शक्ति, सामना करने की शक्ति, सामने की शक्ति, परखने की शक्ति, निर्णय करने की शक्ति, सहयोग की शक्ति, विस्तार को संकीर्ण करने की शक्ति, समेटने की शक्ति। बताया जाता है, कि नारी को अष्ट भुजा धारी देवी माना जाता है नारी की अष्ट भुजायें भिन्न-भिन्न कर्तव्यों का प्रतीक हैं नारी ही घर को स्वर्ग बना सकती हैं और नारी ही घर को नरक बनाती हैं। अर्थात जब हम राजयोग को अपने जीवन में लाते हैं तो अष्ट शक्तियां स्वतः ही हमारे अंदर आने लगती हैं। जैसे करंट दिखाई नहीं देता मगर होता है, खुशबू दिखाई नहीं देती, मगर होती हैं । वैसे ही ये अष्ट शक्ति हमारे अंदर हैं बस हमें इन अष्ट शक्तियों को पहचान प्रयोग में लाना है अपने जीवन में अनुभव करना है। माँ के पास दो हथियार हैं एक भोजन, दूसरा पानी।

जैसे विचारों से भोजन बनता है उसका असर घर के हर सदस्य पर पड़ता है, इसलिए प्रेम से भोजन बनायें ओर खिलायें जैसा खायेंगे अन्न, वैसा होगा मन।

पानी भी प्रेम से पिलाये क्योंकि जैसा पियेंगे पानी, वैसी होगी वाणी । बस घर को स्वर्ग बनाने में मन और वाणी ही तो चाहिए । इसलिए अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान कर भोजन बनाने को छोटा काम न समझें ।

परमात्म ज्ञान को जब हम अपने जीवन में धारण करते हैं तो हमें यह समझ आ जाती है कि परिवार को कैसे चलाना है? परिवार के हर एक सदस्य के साथ कैसा व्यवहार रखना है?

“ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी दीदी” ने बताया कि, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने नारी के सम्मान की एक मिसाल कायम की .

ब्रह्माकुमारी संस्था एक विश्वव्यापी संस्था है जिसका संचालन नारियों द्वारा कुशलतापूर्वक किया जा रहा है। जहां स्वयं परमपिता परमात्मा शिव ब्रह्मा तन में अवतरित होकर नारी को सम्मान देते हैं , माता को गुरु पद देते हैं और कहते भी हैं जब तक माता गुरु ना बने तब तक विश्व का कल्याण हो नहीं सकता। जिस नारी को लोगों ने नर्क तक का द्वार कहा है, उसे ही स्वर्ग का द्वार खोलने के निमित्त बनाते हैं। “वंदे मातरम” कहकर नारी के श्रेष्ठ स्वमान को जागृत करते हैं उसे पवित्रता के श्रेष्ठ मार्ग पर चलना सिखाते हैं।

तो क्यों नहीं? हम भी परमपिता परमात्मा के इस श्रेष्ठ कार्य में सहयोगी बनाकर अपना भाग्य बनाएं। हर नारी के प्रति शुद्ध , पवित्र भाव रखें और उसे देवी स्वरूप में देखें । इस प्रकार अपने भारत का गौरव बढ़ाएं और इसे फिर से स्वर्ण बनाएं।

कार्यक्रम में पधारी समस्त माताओं ,बहिनों का तिलक लगाकर सम्मान किया।


इस अवसर पर संस्था से ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी दीदी, कल्पना बहिन,नेहा बहिन, आरती बहिन,प्रगति बहिन सहित अन्य माताएं, बहिनें उपस्थित रही।