अलौकिक दिव्य समर्पण समारोह

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में आयोजित अलौकिक दिव्य समर्पण समारोह में देशभर की सौ बेटियों के साथ सागर की भी दो बेटियाें ने ईश्वरीय सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। इन बेटियों ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लेते हुए ब्रह्माकुमारी के रूप में समाज सेवा करने का संकल्प लिया। इनमें से एक बेटी गौरझामर से तो दूसरी सागर से है।

सागर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके छाया दीदी ने बताया कि देशभर से पहुंची इन बेटियों ने पहले बाकायदा उच्च शिक्षा बीए, बीएससी, बीकाम और डॉक्टरेट करने के बाद अध्यात्म की राह अपनाई है। 

ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन के डायमंड हाल में यह अलौकिक दिव्य समर्पण समारोह आयोजित किया गया। इसमें पांच हजार लोगों की मौजूदगी में सौ बेटियों ने विश्व कल्याण का संकल्प लिया। साथ ही आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत को धारण करते हुए परमात्मा शिव को अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया।

माता-पिता लाड़लियों का हाथ दीदियों के हाथों में सौपेंगे

समर्पण समारोह में इन बेटियों के माता-पिता अपनी-अपनी लाड़लियों के हाथ संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी के हाथों में सौंपते हुए कहा कि अब इनकी जिम्मेदारी आपकी है। इस दौरान माता-पिता बोले- ऐसी देवी स्वरूपा बेटी को पाकर हमारा जीवन धन्य हो गया।

पांच साल सेवाकेंद्र पर रहने के बाद होता है चयन

राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन आबू रोड के लिए माता-पिता के अनुमति पत्र, साइन के साथ पूरी प्रोफाइल के साथ फाइल बनाकर भेजी जाती है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं।


अब तक 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनें विश्वभर में समर्पित

वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज़ की नींव रखी गई। तब से लेकर अब तक 87 वर्ष में संस्थान में 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों ने अपनी जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित किया है। ये बहनें तन-मन-धन के साथ समाजसेवा, विश्व कल्याण और सामाजिक, आध्यात्मिक सशक्तीकरण के कार्य में जुटी हैं।  

◾️समर्पण में सभी बहनों को कराए जाते हैं यह मुख्य तीन संकल्प

इसमें बहनें दुल्हन की तरह सज-धजकर स्टेज पर बैठती हैं, जहां उनसे वरिष्ठ दीदियां संकल्प कराती हैं। सभी को एक-एक संकल्प पत्र दिए जाते हैं। वह तीन संकल्प होते हैं-

1. पहला- मैं आज से मन-वचन-कर्म से परमात्मा को अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर रही हूं। आज मैं परमात्मा शिव को साजन, पति के रूप में स्वीकार करती हूं। मैं यह निर्णय अपनी स्वेच्छा से ले रही हूं।

2. दूसरा- मैं सदा इस ईश्वरीय यज्ञ के बनाए नियम-मर्यादा में रहकर चलूंगी, सेवा करुंगी और सदा अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए योग-साधना को अपने जीवन का लक्ष्य बनाऊंगी।

3. तीसरा- इस ईश्वरीय यज्ञ, परिवार की वरिष्ठ दीदियां ईश्वरीय सेवा के लिए जहां रहने, सेवा करने के लिए कहेंगे वहां खुशी-खुशी सेवा के लिए जाने को तैयार रहूंगी। विपरीत परिस्थिति में भी खुश रहते हुए सेवा के लिए हर बात में हां, जी का पाठ पक्का करुंगी। भगवान के घर में जो खाने-पीने मिलेगा उसका सदा खुश-राजी रहूंगी।

ब्रह्माकुमारी बनने जा रहीं बेटियों के अनुभव

 

बीके पार्वती, बीए, गौरझामर, सागर, मप्र

स्कूल में जब शिक्षक सभी से पूछते थे कि आप बड़े होकर क्या बनोगे तो मेरे मन में बचपन से ही संकल्प था कि कुछ अलग करना है। मुझे कुछ समाज के लिए करना है। इस दौरान ब्रह्माकुमारीज़ के संपर्क में आई और यहां की आध्यात्मिक पत्रिकाओं को पढ़ने से मेरे जीवन की दिशा बदल गई। जब मुझे पूर्ण विश्वास हो गया कि यहां विश्व कल्याण के लिए सेवाएं की जा रही हैं। सेवा का इससे बढ़कर कोई माध्यम नहीं हो सकते हैं तो मैंने अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया।

  बीके कामिनी, 12वीं पास, सागर, मप्र

मेरे दादाजी ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े थे। इस कारण मैं भी सेंटर आने लगी। जब मैंने यहां आकर इस ज्ञान को समझा और दीदियों का आदर्श जीवन देखा तो मेरे मन में भी विश्व कल्याण की सेवा का भाव जागृत हुआ। पहले मैंने घर में रहते ही अपना जीवन आदर्श बनाया, फिर सेवाकेंद्र पर आ गई। आज अपना जीवन परमात्मा को अर्पित करते हुए बहुत ही खुशी और गर्व की अनुभूति हो रही है।


इस मौके पर अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके संतोष दीदी, राजयोगिनी बीके सुदेश दीदी, अतिरिक्त महासचिव बीके करुणा ने अपने विचार व्यक्त किए।