स्वास्थ्य बने रहने की संजीवनी चाहिए तो चले आईए इस शिविर में. जी हां प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में लगने वाले स्वास्थ्य शिविर किसी चमत्कार से कम नहीं होते. शिविर में स्वास्थ्य समागम के अद्भुत प्रभाव को लोग शिविर में उपस्थिति दर्ज कराते ही महसूस करने लगते हैं. और यही इन शिविरों की विशेषता होती है.
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के द्वारा न्यू टाउन प्रभाकर नगर मकरोनिया में “स्वास्थ आपकी मुठ्ठी में” प्रोग्राम का आयोजन किया गया. जिसमें माउंट आबू से पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार वेणुगोपाल भाई पीस ऑफ माइंड चैनल प्रोड्यूसर एवं नेचुरोपैथी स्पेशलिस्ट द्वारा निरोगी भव सेमिनार में स्वस्थ्य बने रहने के गुर सिखाये.
कैसे करें स्वास्थ्य अपनी मुट्ठी में
🔷️अच्छी भूख
सूर्योदय के साथ और सूर्यास्त के साथ भूख लगनी चाहिए. सूर्योदय के बाद सुबह 9 से 10 बजे तक पेट भर के भोजन करना चाहिए, प्रकृति के साथ चलना जरूरी है. दोपहर का खाना बिल्कुल नही खाना चाहिए बल्कि फल और जूस का सेवन करें, पेट को रेस्ट दें. रात में पका भोजन हरी सब्जी ज्यादा लें. पका हुआ भोजन सिर्फ दो बार.
🔷️स्वस्थ व्यक्ति के लक्षण
▪️भूख अच्छी
▪️ऊंचाई के अनुसार वजन
▪️साफ और चमकदार त्वचा
▪️आलस्य से मुक्त
▪️दर्द रहित शरीर
▪️हंसमुख,खुश और तनाव मुक्त।
निरोगी रहने के लिए 70% खाना खाएं. 50 प्रतिशत तक मुँह में ही भोजन को पचायें. 25 प्रतिशत पेट में और 25 प्रतिशत छोटी आंत में
शरीर में टॉक्सिन (विष) बनने का कारण
▪️विशुद्ध आहार का सेवन रोग का कारण है
▪️दही का सेवन मीठे के साथ करें नमक के साथ नहीं
▪️अधिक खाने से बचें
▪️जल्दबाजी भोजन
▪️बिना भूख के भोजन
▪️भोजन के साथ अधिक पानी
▪️एक साथ कई प्रकार के खाद्य पदार्थ खाना
▪️तामसिक भोजन
▪️कारखाने के खाद्य उत्पादों को खाने से
मानसिक कारण
⛔️अधिक सोचना ⛔️नकारात्मक सोचना⛔️क्रोध ⛔️तनाव ⛔️चिंता
इस शिविर में लगभग 150 से अधिक लोगों ने लिया लाभ लिया, शिविर में आए लोगों ने व्यायाम के महत्व को भी समझा, और स्वस्थ्य रहने के लिए मेडीटेशन की आवश्यकता को भी समझा. भोजन करने की समय सारिणी को भी समझा और सकारात्मकता के प्रवाह को भी समझा.
इसलिए कहा जाता है कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में लगने वाले स्वास्थ्य शिविर किसी चमत्कार से कम नहीं होते. शिविर में स्वास्थ्य समागम के अद्भुत प्रभाव को लोग शिविर में उपस्थिति दर्ज कराते ही महसूस करने लगते हैं. और यही इन शिविरों की विशेषता होती है.