मन में विनाश के नहीं विकास के चित्र बनाएं – बीके लीला बहन

गौरझामर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में ब्रह्माकुमारीज के प्रशासनिक विभाग के अंतर्गत आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वस्थ एवं स्वच्छ समाज के निर्माण में प्रशासकों की भूमिका विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया.

कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी लीला बहन ने प्रेरणादायक उदबोधन में कहा कि “आज्ञाकारी बन, मन-वचन और कर्म से सबको सुख दो” सुखद जीवन के लिए आज्ञाकारिता का गुण बेहद जरूरी है। माता-पिता और शिक्षक का आज्ञाकारी बनने से उनके आशीर्वाद से आगे बढ़ने का मार्ग सुगम होता है, रुकावटें सहज ही पार हो जाती हैं। हम जो बीज बोते हैं वही काटते हैं यही कर्मों का विधान है.

हम मन-वचन-कर्म से जितना सुख देंगे उतना पद्मगुणा होकर वापस मिलेगा । जब मन में सबके प्रति शुभकामना, शुभभावना होगीं तभी वचन और कर्म में स्वयं से व सर्व से सन्तुष्टता प्राप्त होती है। स्व परिवर्तन से ही विश्व परिवर्तन होगा। और उन्होंने कहा आज माँ- बाप अपने बच्चों को अनेक साधन उनके कहने पर देते हैं और वही उनके पतन का कारण बनता है संस्कार दिये बिना साधन देना उनके पतन का कारण हैं। यदि साधन नहीं देंगे तो बच्चा थोड़ी देर रोयेगा लेकिन संस्कार नहीं देंगे तो जीवन भर रोयेंगे।

        वर्तमान में बहुत सारी चीज रिचार्जेबल हैं, हम उन्हें चार्ज करके प्रयोग करते हैं। लेकिन कभी मन को चार्ज नहीं करते हैं न ही मन को कभी जानने की कोशिश करते हैं। प्रतिदिन मेडिटेशन के अभ्यास से हम अपने मन को शक्तिशाली बना सकते हैं जिससे मन में विनाश के नहीं विकास के चित्र बनाएगें जिससे हमारा जीवन सफल होगा

“तभी हम सफल बन सकते हैं…”

आगे उन्होंने कहा, कि हमारा चरित्र ही हमारा व्यक्तित्व है। जीवन में हम किसी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं तो पहले हमें उसका विजन बनाना होगा। जीवन में धैर्य के साथ हमें आगे बढ़ना होगा तभी हम सफल बन सकते हैं।

“सभी शक्तियों की जननी है आध्यात्मिकता”

आध्यात्मिकता सर्व शक्तियों की जननी है।आध्यात्मिक मूल्य सभी धर्मों के लोगों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं।स्वार्थ से ऊपर उठकर लोक-कल्याण की भावना से कार्य करना, आंतरिक आध्यात्मिकता की सामाजिक अभिव्यक्ति है। लोक-हित यानी परोपकार करना सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक मूल्यों में से एक है। यदि हम इसका नियमित रूप से अभ्यास करते हैं तो इससे हमारा नैतिक व चारित्रिक बल बढ़ता है। जो हमारे इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रांग बनाता है। साथ ही भारत देश स्वर्ग बन सकता है। बशर्ते युवा अपने जीवन में मूल्यों एवं पवित्रता जैसी शक्ति धारण करें।

“राजयोग द्वारा गहन शांति की अनुभूति”

राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राजयोग के द्वारा गहन शांति की अनुभूति करायी और कहा कि राजयोग के द्वारा हमें जो शांति मिलती है उससे हमारी आत्मा को एक नई ऊर्जा मिलती है। यह ऊर्जा हमें सदा मिलती रहे इसके लिए जरूरी है कि हम अपने दिनचर्या में से कुछ समय निकलकर राजयोग का अभ्यास अवश्य करें।

“ब्रह्माकुमारीज संस्था की प्रमुख भूमिका”

आज भय, आतंक और युद्ध को बढ़ावा देने वाली शक्तियां विश्व के कई हिस्सों में बहुत सक्रिय हैं। ऐसे वातावरण में ब्रह्माकुमारी संस्थान ने 100 से अधिक देशों में अनेक केन्द्रों के माध्यम से मानवता के सशक्तीकरण का प्रभावी मंच उपलब्ध कराया है। यह आध्यात्मिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार द्वारा विश्व बंधुत्व को शक्ति प्रदान करने का अमूल्य प्रयास है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान महिलाओं द्वारा संचालित किया जाने वाला विश्व का एकमात्र सबसे बड़ा आध्यात्मिक संस्थान है। इस संस्थान में ब्रह्माकुमारी बहनें आगे रहती हैं तथा उनके सहयोगी ब्रह्माकुमार भाई साथ में कार्यरत रहते हैं। ऐसे अनूठे सामंजस्य के साथ, यह संस्थान निरंतर आगे बढ़ रहा है। ऐसा करके, आप सब ने विश्व समुदाय के सम्मुख आध्यात्मिक प्रगति और महिला सशक्तीकरण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

कार्यक्रम के समापन पर गौरझामर सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन ने अभियान में आये हुए सभी अभियान यात्रियों का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में जेनिथ कान्वेंट स्कूल गौरझामर के प्रिंसिपल देवेंद्र नामदेव जी सहित समस्त स्टॉफ एवं बच्चे, शासकीय सीनियर अनुसूचित कन्या छात्रावास गौरझामर की अधीक्षिका श्रीमती योगिता यादव सहित सभी छात्राएं,ब्रह्माकुमारी आरती बहन,अभियान यात्री ब्रह्माकुमारी मोनिका बहन,ब्रह्माकुमार महेंद्र भाई,ब्रह्माकुमार राजेश भाई,ब्रह्माकुमारीज संस्था से जुड़े सभी भाई, माताएं, बहनें उपस्थित रहीं।