सेन्ट्रल जेल सागर में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवाकेंद्र सागर द्वारा सभी कैदी भाईयों को रक्षा सूत्र बांधकर मिठाई खिलाकर उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें दीं । हर वर्ष रक्षाबंधन के पावन पर्व पर ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवाकेंद्र की बहनें केन्द्रीय जेल में कैदी भाईयों को रक्षासूत्र बांधती हैं । कैदी भाईयों को मेडीटेशन भी कराया गया ।
बहन भाई के निःस्वार्थ भाव का प्रतीक है रक्षाबंधन ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन
सेन्ट्रल जेल सागर में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवाकेंद्र सागर से ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन ने रक्षा बंधन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रक्षाबंधन जीवन की मान-मर्यादा व बहन-भाई के निःस्वार्थ प्यार का प्रतीक है.
रक्षाबंधन पर हर एक बहन अपने भाई के ललाट पर तिलक लगाती है। यह आध्यात्मिकता में आत्म-स्मृति का तिलक है। क्योंकि आत्मा के रहने का स्थान भी तो भ्रृकुटी के बीच में है। आत्मा तो अजर-अमर-अविनाशी है। देह विनाशी है। तिलक लगाते समय बहन-भाई को स्मृति दिलाती है कि हम आत्मा रूप में भाई-भाई हैं और शरीर के सम्बन्ध से बहन-भाई। हमारा पिता अविनाशी है।आत्मा मन ,बुद्धि संस्कार की मालिक है और इस मानव जीवन का बीज हमारे विचार हैं इसलिए हमें अपने विचारों को श्रेष्ठ बनाना है ।
कहा जाता है “करत करत अभ्यास के जड़मति होए सुजान और रस्सी आवत जात सो सिल पे परत निसान” तो बार बार प्रयास से हम अपने विचारों को शुद्ध कर सकते हैं दैवीय बना सकते हैं जब बीज अच्छा होगा तो हमारे कर्मों रूपी खेती भी बहुत उत्तम होगी।इसलिए अब बीती को छोड़ अब अपने कर्मों को हम अच्छा बनाएं।
इस अवसर पर सेंट्रल जेल अधिकारी मानेंद्र सिंह परिहार जी जेलर मनोज मिश्रा, जेल प्रहरी महेश धुर्वे,जेल टीचर राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित श्रीमती गीता रैकवार सहित समस्त जेल स्टॉफ, ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन,ब्रह्माकुमारी संध्या बहन,ब्रह्माकुमारी कल्पना बहन,ब्रह्माकुमारी हेमवती बहन, ब्रह्माकुमार सुनील भाई ब्रह्माकुमार संदीप भाई सहित 500 से अधिक कैदी भाई उपस्थित रहे।