ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के सागर सेवाकेंद्र पर शिव ध्वजारोहण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर झंडावंदन कर सभी को शिव ध्वज के नीचे प्रतिज्ञा कराई गई.
कार्यक्रम में सेवाकेंद्र संचालिका बीके छाया दीदी ने कहा कि आज के दिन सभी अपने जीवन का कोई एक अवगुण, कोई बुराई, नकारात्मक विचार परमात्मा को अर्पण, दान कर दें और उससे सदा के लिए मुक्त हो जाएं. दान की गई चीज फिर वापस नहीं ली जाती है, इसलिए उससे सदा के लिए मुक्त हो जाएंगे. साथ ही जीवन को आगे बढ़ाने के लिए, सफलता प्राप्त करने के लिए कोई एक सद्गुण को धारण करने का संकल्प लें तो आपका जीवन खुशनुमा बन जाएगा. शिवलिंग पर तीन रेखाएं परमात्मा द्वारा रचे गए तीन देवताओं की ही प्रतीक हैं. परमात्मा शिव तीनों लोकों के स्वामी हैं. तीन पत्तों का बेलपत्र और तीन रेखाएं परमात्मा के ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के भी रचयिता होने का प्रतीक हैं. वे ब्रह्मा द्वारा सतयुगी दैवी सृष्टि की स्थापना, विष्णु द्वारा पालना और शंकर द्वारा कलियुगी आसुरी सृष्टि का विनाश कराते हैं. इस सृष्टि के सारे संचालन में इन तीनों देवताओं का ही विशेष अहम योगदान है.
उन्होंने कहा कि विश्व के प्राय: सभी धर्मां के लोग परमात्मा के अस्तित्व में विश्वास करते हैं. सभी मानते हैं परमात्मा एक है. सर्वशक्तिमान परमात्मा के बारे में एक बात सर्वमान्य है कि परमात्मा ज्योतिर्बिन्दु स्वरूप हैं. इस संबंध में केवल भाषा के स्तर पर ही मतभेद हैं, स्वरूप के संबंध में नहीं. शिवलिंग का कोई शारीरिक रूप नहीं है क्योंकि यह परमात्मा का ही स्मरण चिंह्न है. शिव का शाब्दिक अर्थ है ‘कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है प्रतिमा अथवा चिंह्न. अत: शिवलिंग का अर्थ हुआ कल्याणकारी परमपिता परमात्मा की प्रतिमा.
“राजयोग के जरिए परमात्मा को करते हैं याद”
बीके छाया दीदी ने कहा कि राजयोग मेडिटेशन ध्यान की वह अवस्था है जिसमें हम खुद को आत्मा समझकर परमपिता शिव परमात्मा को याद करते हैं. परमात्मा के जो गुण और शक्तियां हैं उनका मन ही मन-बुद्धि द्वारा विजुलाइज करके उनके स्वरूप में स्थित होने का अभ्यास करते हैं राजयोग अंतर्जगत की यात्रा है, जिसमें हम स्व चिंतन और परमात्म चिंतन करते हैं. जब हम नियमित तौर पर राजयोग ध्यान में जैसे- मैं एक महान आत्मा हूं… मैं भाग्यशाली आत्मा हूं…मैं सफलता मूर्त आत्मा हूं… मैं सतयुगी आत्मा हूं…मेरे सिर पर सदा परमात्मा का वरदानी हाथ है… इन संकल्पों को करते हुए जब हम परमात्मा की दिव्य शक्तियों को बुद्धि के द्वारा मन की आंखों से विजुलाइज करते हैं तो फिर हमारी आत्मा का स्वरूप, संस्कार और विचार उसी रूप में ढलने लगते हैं. कर्म में ही योग को शामिल कर कर्मयोगी, राजयोगी जीवनशैली को अपनाना होता है. जब हम मन को एकाग्र कर खुद को आत्मा समझकर निरंतर परमात्मा को याद करते हैं तो उनकी शक्तियों से आत्मा पर लगी विकारों, पापकर्म की मैल धुलती जाती है. धीरे-धीरे एक समय बाद आत्मा, परमात्मा की शक्ति से संपूर्ण पावन, पवित्र और सतोप्रधान अवस्था को प्राप्त कर लेती है.
इस मौके पर अतिथि रिटायर्ड आर्मी मेजर गजराज सिंह ने कहा कि संस्थान का कार्य बड़ा सराहनीय है. यहाँ जब भी आता हूँ ऊर्जा से भर जाता हूँ. ब्रह्माकुमारी बहने निरंतर जन सेवा कर रही हैं, इन्होंने अपना जीवन जन कल्याण के लिए दिया है. यह बहुत ही गर्व की बात है कि नारी शक्ति महान कार्य कर रही हैं.
शिव ध्वजारोहण कार्यक्रम में सागर क्षेत्र की सभी ब्रह्माकुमारी बहनें एवं सागर राजयोग का रोज़ अभ्यास करने वाले भाई बहन शामिल हुए.
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