चुनाव सुधार पर केन्द्रित हुए विचार

“देश में सही मायने में लोकतंत्र कायम करने के कई स्तरों पर चुनाव – सुधार के साथ लोकतांत्रिक मानस तैयार करने की आवश्यकता है। इस दिशा में जरूरी है कि पंचायत से लेकर पार्लियार्मेंट तक के चुनाव एक साथ हों ।राजनीतिकों के लिए अलग राजनैतिक अपराध संहिता बने, एक चुनाव जीतने के बाद कोई भी व्यक्ति पांच साल तक पूरा याने अवधि पूरी होने तक दूसरा चुनाव नहीं लड़ सके, और काले धन की राजनीति समाप्त हो ।”

यह विचार प्रसिद्ध समाजवादी गांधीवादी विचारक रघु ठाकुर ने आज चुनाव – सुधार पर केन्द्रित आयोजन में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए व्यक्त किए। 

जाने – माने पत्रकार व माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के पूर्व कुलपति श्री दीपक तिवारी आयोजन के मुख्य अतिथि थे।‌

कार्यक्रम स्वर्गीय श्री विश्वनाथ सिंह बाबू भाई की स्मृति में आयोजित किया गया। वरिष्ठ पत्रकार श्री जयंत तोमर और प्रसिद्ध लेखिका डा शरद सिंह इस आयोजन में मंच पर उपस्थित थीं। प्रोफ़ेसर बद्री प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापित किया व संचालन रामकुमार पचौरी ने किया।

मुख्य अतिथि श्री दीपक तिवारी ने कहा कि एक आदर्श लोकतंत्र बनाने में चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई हैं जिनमें इन संस्थाओं की विश्वसनीयता व पारदर्शिता प्रभावित हुई है। इलेक्टोरल बांड के कारण आदर्श चुनाव प्रक्रिया दूषित हुई है। स्वतंत्रता, समता, बंधुत्व जैसे मूल्यों को भारतीय संविधान में स्थान मिला है, पर इन्हें धरातल पर उतारने के लिए इस देश की विविधता का सम्मान करना जरूरी है। 

रघु ठाकुर जी ने कहा कि सत्ता के दुरुपयोग से चुनाव जीतने के उपाय कोई आज की बात नहीं है, इसकी शुरुआत 1962 के बाद ही हो गयी थी। मुंगेर से मधु लिमए को हराने के लिए और अमेठी से राजीव गांधी को जिताने के लिए उस समय सत्ता में बैठे लोगों ने हर तरह से वैचारिक विरोधियों को परेशान किया। लोगों का दिमाग लोकतांत्रिक होना चाहिए, नहीं तो अच्छे से अच्छा व्यक्ति का भी सत्ता में स्थायी होने के बाद दिमाग बदल जाता है।

चुनावों में पैसे के बोलबाले की यह स्थिति है कि 2014 के आम चुनाव में चालीस हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे, 2019 में साठ हजार करोड़ हुए और 2024 में 83 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए।

चुनाव अगर पैसे से ही लड़े जायेंगे तो साधारण और भले लोग कैसे चुनाव लड़ने की हिम्मत करेंगे।

इसी तरह राजनीतिक अपराध संहिता भी अलग करना जरूरी है। जनता के लिए लड़ने वाले लोगों के खिलाफ अपराध अलग श्रेणी में दर्ज हों और न्यायालय में विचाराधीन रहने तक किसी को भी अपराधी की श्रेणी में न रखा जाये। अंग्रेजों के जमाने में महात्मा गांधी व नेहरू जी सहित कितने ही लोगों ने आंदोलन किए परंतु उसके कारण वे अपराधी तो नहीं घोषित हो सकते। जार्ज फर्नांडीज से लेकर मोरारजी देसाई तक पर राष्ट्रद्रोह से लेकर बिजली के तार काटने तक के मामले दर्ज हुए । यह सब राजनीतिक मामले थे न कि आपराधिक। इसलिए अलग से राजनीतिक अपराध संहिता बनना आवश्यक है।

रघु जी ने कहा राष्ट्रीय अस्मिता के सामने हर तरह की क्षुद्र अस्मिताओं का विसर्जन जरूरी है अन्यथा जाती और भाषा जैसे अनेक मसले अच्छे लोगों को चुनने की राह में बाधा बनते रहेंगे।

रघु जी ने कहा भारत के मतदाता इस मामले में परिपक्व हैं कि अधिनायकवाद को उन्होंने हमेशा पराजित किया चाहे वे किसी भी दल के हों।

चुनावी चंदे पर आयकर छूट के मसले पर बोलते हुए रघु जी ने कहा 1978 में करोड़ों रुपए बचाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खुद को राजनीतिक संस्था घोषित किया था। इसी तरह औद्योगिक समूहों को इलेक्टोरल ट्रस्ट में आमदनी का पांच फीसदी देने की जो व्यवस्था थी उसे असीमित कर दिया गया। इलेक्टोरल बांड बाद में आया । चुनावों में काले धन का अवाध प्रवेश यहीं से हुआ है।

अब आप्रवासी भारतीयों के माध्यम से राजनीति में काले धन के कारोबार ने एक वैश्विक चक्र बना लिया है। इसी तरह चुनावों में उम्मीदवार यह देख कर उतारे जाते हैं कि कहां किस जाति का बाहुल्य है। आदर्श स्थिति इसके ठीक उलट होनी चाहिए कि जहां जिस समुदाय की संख्या सबसे कम है उसी समुदाय का उम्मीदवार चुनाव में उतारा जाये।

सागर के वरदान होटल में आयोजित इस वैचारिक आयोजन में शुकदेव तिवारी, पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव , सुनील जैन पूर्व विधायक, रफ़ीक खान, महेश पांडे ,नारायण सिंह शिवराज सिंह विनोद तिवारी, डी के सिंह, प्रदीप गुप्ता, मोतीलाल पटेल, सिंटू कटारे, डॉ संजीव सर्राफ, शैलेष केसरवानी, चिकी एंथोनी, आर के तिवारी आदि सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।