विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय भोपाल के तत्वाधान में जिला पुरातत्व संग्रहालय तीन मढ़िया सागर में अपर कलेक्टर रुपेश उपाध्याय एवं नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री की उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
भारत के प्राचीन स्मारक नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में बी के श्रीवास्तव, प्रोफेसर नागेश दुबे, डॉ मकसूद अहमद कादरी, रजनीश जैन, अतुल जैन, दामोदर अग्निहोत्री सहित सागर के तमाम इतिहासकार, लेखक, छात्र-छात्रायें एवं इतिहास में रूचि रखने वाले नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए.
इस दौरान भारत के प्राचीन इतिहास को प्रदर्शित करती तस्वीरों की गैलरी का अपर कलेक्टर एवं नगर निगम आयुक्त ने अन्य अतिथियों के साथ फीता काटकर उद्घाटन किया. उन्होंने भारत के प्रसिद्ध मॉन्यूमेंट्स सहित सागर के मॉन्यूमेंट्स के छायाचित्र की प्रदर्शित गैलरी का अवलोकन किया.
अपर कलेक्टर एवं जिला नोडल पुरातत्त्व विभाग रुपेश उपाध्याय ने सभी आँगनतुको को शुभकामनायें देते हुये कहा की सागर जिले और इसके समृद्ध इतिहास को जानने के लिए एक परिचर्चा हेतु आयोजित इस कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में आप सब की उपस्थिति ने इसे सफल बनाया है. हम सब मिलकर सागर के गौरवशाली इतिहास से जुड़े पुरातत्त्व अवशेष और धरोहरों को सहेजने का कार्य करेंगे. नगर निगम आयुक्त सह कार्यकारी निदेशक स्मार्ट सिटी राजकुमार खत्री ने कहा की वर्तमान और भविष्य में अपने को दृढ़ता से स्थापित करने के लिए इतिहास को जानना समझना बहुत आवश्यक है. संस्कृति और संस्कार को आगे बढ़ाने में इतिहास महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा जिला पुरातत्व संग्रहालय में पुनर्विकास कर इसे अत्याधुनिक और डिजिटल बनाया गया है. यहां उपलब्ध कराया गया डिजिटल कंटेंट विजिटर्स सहित अधिक से अधिक लोगों को सागर के इतिहास से जोड़ेगा.
इतिहासकार और पत्रकार डाॅ रजनीश जैन ने कहा की स्मार्ट सिटी के द्वारा शहर के पुरातत्त्व स्थलों को सहेजने संवारने का सराहनीय कार्य किया गया है. जिला पुरातत्व संग्रहालय में बेहतर व्यवस्थायें हुई हैं. यहां बहुत प्राचीन शिव, विष्णु, बुद्ध एवं जैन प्रतिमाओं सहित नाग प्रतिमायें व्यवस्थित और सुरक्षित रखी गई हैं.
डॉ मकसूद अहमद कादरी ने कहा की सागर और आसपास मध्य पाषाण काल के पहले के पुरातत्व अवशेष साक्ष्य के रूप में मिले हैं. प्रगेतिहासिक काल के शीप और घोंघे के टूल्स भी मिले हैं इसका मतलब है कि उस समय भी सागर में मनुष्य की गतिविधियां रहीं हैं. सागर में 400 ईशापूर्व के सिक्के, शंकरगढ व धमोनी के अभिलेख, एरण स्थल, आबचंद आदि अनेक उदाहरण हमारे समृद्ध इतिहास से परिचित कराते हैं.
वरिष्ठ लेखिका शरद सिंह ने कहा की लोगों में इतिहास के प्रति जागरूकता लाने के लिए डिजिटल कंटेंट के साथ अधिक से अधिक प्रचार होना चाहिए.
जिला पुरातत्व संग्रहालय के गाइड सुजीत गोस्वामी ने सभी का आभार व्यक्त किया.
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