हमें अपने मन को भटकने से बचाना है और मन के भटकाव को रोकने के लिए मन को एकाग्र करना जरूरी हैं. और मन को एकाग्र करने के लिए मेडिटेशन का अभ्यास प्रतिदिन करना चाहिए. :ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन:
(सेवा केंद्र-सागर)
“सकारात्मकता से सफलता की ओर”
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोगा एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के मेडिकल प्रभाग के तत्वाधान में “सकारात्मकता से सफलता की ओर” विषय पर कार्यक्रम का आयोजन मेडिकल कॉलेज के नर्सिंग होस्टल, सागर में किया गया.
शरीर और आत्मा.
ब्रह्माकुमारी नीलम दीदी ने शरीर और आत्मा का सत्य परिचय देते हुए कहा, कि मैं कौन हूँ? ये मैं कहने वाला कौन हैं? शरीर या आत्मा? फिर आत्मा की तीन सूक्ष्म शक्तियां होती हैं, जिस प्रकार शरीर की आवश्यकता की पूर्ति पाँच तत्वों के माध्यम से होती हैं, उसी प्रकार आत्मा अपने सात गुणों – आनन्द, ज्ञान, शांति, प्रेम, सुख, पवित्रता, शक्ति का अनुभव तीन शक्तियों के माध्यम से करती है. “मन, बुद्धि और संस्कार”. अब हमें इनके वास्तविक स्वरूप को जानना हैं. एक दिन के सकारात्मक सोचने से हम सकारात्मक नहीं होंगे. यदि हम चाहते हैं, कि कल की सुबह अच्छी हो तो हमें आज का दिन सकारात्मक विचारों से भरपूर करना होगा. हमें अपने मन को यहां – वहां की बातों में भटकाना नहीं है, हमें अपने मन को सकारात्मक बातों से, विचारों से भरपूर रखना है. अपने आपको समझाएँ कि असफलता ही सफलता की सीढ़ी है. यह जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति, हर क्षेत्र में, हर परिस्थिति में सफल हो. असफलता से सीख कर हमें आगे बढ़ाना है, हिम्मत रखनी है. साथ ही स्वयं को यह यकीन दिलाना है, कि लगातार किया गया परिश्रम अनुभव देता है जो हमें सफलता तक ले जाने में मददगार साबित होता है.
निरर्थक बातें बोलने से बेहतर है चुप रहना.
आपने देखा होगा, कई बार चुप रहना तो कई बार अपने विचार रखना सही होता है. कई स्थितियां होती हैं, जहां अपने विचार व्यक्त करना बहुमूल्य हो सकता है, परंतु इसकी विपरीत कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जिनमें चुप रहना आपके और आपके आस- पास के लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकती हैं. अर्थपूर्ण बातें, अर्थहीन बातों से अच्छी होती हैं आप जो भी बोल रहे हैं उसका अर्थ होना चाहिए व्यर्थ में बोली गई बातों का ना कोई अर्थ है, ना महत्व इसीलिए व्यर्थ और निरर्थक बातें बोलने से बेहतर है चुप रहना.
मेडीटेशन
ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन ने ब्रह्माकुमारीज संस्था का (सेवा केंद्र-सागर)परिचय दिया और बताया हमें अपने मन को भटकने से बचाना है और मन के भटकाव को रोकने के लिए मन को एकाग्र करना जरूरी हैं. और मन को एकाग्र करने के लिए मेडिटेशन का अभ्यास प्रतिदिन करना चाहिए. साथ ही मेडिटेशन का अभ्यास भी कराया.
यह आयोजन नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ.दीप्ति पांडेय द्वारा आयोजित किया गया. इस अवसर पर ब्रह्माकुमार अनिल भाई जी,ब्रह्माकुमार पीयूष भाई नर्सिंग कॉलेज का समस्त स्टॉफ और छात्राएं उपस्थित रहीं.
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