सागर : छात्राओं को दी समाज सेवा की प्रेरणा

जब समाज में जाएंगे तो सम्मान भी मिलेगा और अपमान का सामना भी करना पड़ेगा. दोनों परिस्थितियों में स्थिर और शांत रहने के लिए मन का सशक्त और मजबूत होना जरूरी है. राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास से जहां हमारा मन शक्तिशाली बनता है, वहीं शांत भी होता है. मन में स्थिरता आती है.बीके नीलम दीदी

रविवार को शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जन शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित सेमीनार को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारीज से आईं बीके नीलम दीदी ने कहा कि समाजसेवा के लिए पहले खुद की सेवा करना पड़ेगी, खुद के प्रति सजग और जागरूक बनना होगा, इसके लिए खुद की शक्तियों और विशेषताओं को पहचानना होगा.

“स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन”

मेडीटेशन की प्रेरणास्त्रोत बीके लक्ष्मी दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ दुनिया का एकमात्र सबसे बड़ा ऐसा संगठन है जो पूरी तरह से नारी शक्ति द्वारा संचालित है। वर्तमान में इसकी मुख्य प्रशासिका 100 वर्षीय राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी जी हैं। साथ ही पूरे विश्व में 46 हजार से अधिक ब्रह्माकुमारी बहनें तन-मन-धन से समर्पित रूप से विश्व कल्याण की सेवा में सेवारत हैं।

संस्थान का मूल नारा है “स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन” आप समाजसेवा के क्षेत्र में उतरे हैं तो आप निश्चित रूप से समाज के विशिष्ठजन हैं, सम्मानित जन हैं, क्योंकि समाजसेवा का भाव आना ही अपने आप में महानता, दिव्यता, परोपकार और दयालुता की निशानी है।

आशा करते हैं कि आप सभी अपने जीवन में समाजसेवी कार्यों से अपना और परिवार का नाम रोशन करेंगे।


कार्यक्रम में जन शिक्षा परिषद की जिला समन्वयक अंजली पाठक ने सभी का आभार व्यक्त किया.


इस मौके पर गजेंद्र सिंह, शिक्षिका आरती जी, राखी शर्मा सहित परिषद से जुड़े समाजसेवी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।