सागर सांसद श्रीमती लता गुड्डू वानखेड़े द्वारा वैदिक वाटिका मकरोनिया सागर में आयोजित होली मिलन समारोह एवं स्नेह भोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस अवसर पर सांसद डॉ वानखेड़े ने अपने हाथों से अतिथियों और भाजपा कार्यकर्ताओं पर रंग गुलाल डाला और जमकर होली खेली । इस दौरान ग्रामीण क्षेत्र से आये फाग गीतों के गायक कलाकारों ने धार्मिक और होली के गीत गाकर कार्यक्रम को और रंगारंग बना दिया ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉक्टर वानखेड़े ने कुरवाई विधायक हरि सप्रे, जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत, जिला भाजपा अध्यक्ष श्याम तिवारी, खुरई के पूर्व विधायक धरमू राय, पारुल साहू, पूर्व जिला अध्यक्ष हरिराम सिंह ठाकुर, कृष्णवीर सिंह ठाकुर, पृथ्वी सिंह राजपूत, बीना नगर पालिका अध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष , पूर्व भाजपा,वरिष्ठ के भाजपा नेता वीरेंद्र पाठक, श्रीमती शारदा खटीक, श्रीरूप सिंह यादव, सहित अन्य अतिथियों द्वारा भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की ।
तत्पश्चात डॉ वानखेड़े द्वारा समस्त अतिथियों का शाल श्रीफल भेंटकर कर स्वागत किया गया।
होली मिलन समारोह की शुरुआत जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत के संबोधन से हुई उन्होंने कहा कि होली हमारा प्राचीन धार्मिक त्योहार है जिसकी शुरुआत बृज से हुई जहां भगवान कृष्ण ने होली खेली थी फिर यह परंपरा गांव-गांव तक पहुंची और आज गांव-गांव में होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है लोग इकट्ठा होकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं और पुरानी बुराई को भूलकर नए दिन की शुरुआत करते हैं।
इस अवसर पर समस्त अतिथियों और लोकसभा क्षेत्र की विधानसभाओं से आए भाजपा कार्यकर्ताओं और नागरिकों को होली की शुभकामनाएं देते हुए सागर सांसद डॉक्टर वानखेड़े ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म दुनिया की सबसे महान संस्कृति और धर्म है, जिसमें अनेकों त्योहार मनाये जाते हैं जो हमें आपस में प्रेम और एक दूसरे के प्रति सेवा भाव की शिक्षा देते हैं उन्हीं में होली का त्यौहार है जो हमें सभी भेदभाव और कटुता भुलाकर नाच गाकर और रंग गुलाल लगाकर एक दूसरे के साथ परस्पर प्रेम से रहने की प्रेरणा देता है।
इस पर्व में जीवन का रस है जो हमें एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है । हम उन घरों में जाते हैं जहां दुख आया हो और उन्हें गुलाल लगाकर उनके दुख में साथ होने का इजहार करते हैं यह परंपरा पूरे विश्व में केवल भारत में देखने को मिलती है।
यह आयोजन दोपहर से प्रारंभ होकर शाम तक चलता रहा।

