सागर सांसद “लोकमाता अहिल्याबाई सम्मान” से सम्मानित

बात चाहे सामाजिक एकता की हो या परिवार, राजनीति की, यदि लोगों के दिलों पर राज करना है और संघर्ष से सफलता की कहानी लिखना है तो कोई सांसद डॉक्टर लता वानखेड़े के जीवन से सीखे। इतिहास के पन्ने पलट कर देखें जितनी भी वीरांगना हुई हैं सभी ने चुनौतियों से मुकाबला किया है उनमें से श्रीमती वानखेड़े को भी यह दर्जा दिया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

यह बात मृदु भाषी मिलनसार और हर चुनौतियों से डटकर सामना करने वाली श्रीमती डॉक्टर लता वानखेड़े को “लोकमाता अहिल्याबाई सम्मान” से सम्मानित करते हुए प्रदेश के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कही । इस अवसर पर हाल तालियो से गूंज गया।

श्री राजपूत, महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर आयोजित बैठक में नारी शक्ति के अलावा हजारों लोगों के बीच कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मंत्री श्री राजपूत ने कहा डॉ लता वानखेड़े ने आप और हम सबके बीच रहकर ही लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई पंच सरपंच से आज पार्लियामेंट तक का सफर किया है । यह बुंदेलखंड ही नहीं प्रदेश और देश के लिए गौरांवित करने वाली बात है।

श्री राजपूत ने कहा श्रीमती वानखेड़े को जिला संभाग प्रदेश और देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अवार्ड मिल चुके हैं। श्रीमती वानखेड़े धैर्य वीरता और साहस की प्रतिमूर्ति हैं।

श्री राजपूत ने कहा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के महिला सशक्तिकरण की जीवित मिसाल सांसद डॉ लता वानखेड़े हैं। माननीय मोदी का सपना श्रीमती वानखेड़े महिलाओं के बीच जाकर साकार कर रही हैं । इन्होंने महिलाओं को जीवन जीने की सीख दी है। जनता से सतत संवाद ही उनकी सफलता का राज है।

श्री राजपूत ने कहा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रहते हुए इन्होंने मध्यप्रदेश के 55 जिलों का एक नहीं तीन-तीन बार दौरा कर महिलाओं के दुख दर्द की कहानी को साझा किया है। अपने जीवन में कई चुनौतियों का डटकर सामना करने वाली डॉक्टर लता वानखेड़े ने आज यह मुकाम हासिल किया है।

गौरतलब है कि सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल करने वाली श्रीमती वानखेडे सागर जिले की सबसे बड़ी पंचायत मकरोनिया से कई बार पंच-सरपंच रहने के अलावा पंचायती राज प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष भाजपा महिला मोर्चा की जिला और प्रदेश अध्यक्ष राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष स्काउट गाइड की उपाध्यक्ष रहने के अलावा दर्जनों सामाजिक धार्मिक और सांस्कृतिक समिति समितियों का भी जिम्मेदारी से निर्वहन कर रही हैं।