सागर : नगर पालिक निगम का 5-स्टार रेटिंग के साथ प्रदेश में तीसरा स्थान

भारत सरकार की जल ही अमृत योजना अंतर्गत सागर का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रोजेक्ट विभिन्न मानकों पर खरा उतरा है।

नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री के मार्गदर्शन में सागर के पथरिया हाट में कुशलतापूर्वक संचालित 43 एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को देश के चयनित निकायों में से मानकों के आधार पर कुल 407.5 अंक प्राप्त हुए हैं। सागर के एसटीपी प्लांट ने 5-स्टार रेटिंग प्राप्त कर प्रदेश में तीसरा स्थान हासिल किया है।

भविष्य में पानी की मांग और आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जल सुरक्षित शहरों का निर्माण करने और पर्याप्त मानव उपयोगी जल उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए अमृत-2.0 मिशन अंतर्गत देश में जल की बर्बादी रोकने के लिए एसटीपी प्लांटों द्वारा उपचारित जल के पुर्नचक्ररण और पुनरूपयोग को बढ़ावा देने हेतु जल ही अमृत योजना संचालित की जा रही है। इसके माध्यम से देश के विभिन्न निकायों में संचालित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटो का निर्धारित मानकों अनुसार स्टार रेटिंग स्कोर कार्ड जारी किया गया है।

सागर नगर पालिक निगम अंतर्गत पथरिया हाट स्थित 43-एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से वर्तमान में नागरिकों द्वारा दैनिक क्रियाओं में उपयोग किये जा रहे पानी के उपयोग के बाद उत्पन्न अपशिष्ट जल को उपचारित कर बेहतर गुणवत्ता के साथ पुनरूपयोगी बनाया जा रहा है।

सीवरेज प्रोजेक्ट अंतर्गत शहर में सीवर नेटवर्क बिछाकर घरों के सीवेज आउटलेट को जोड़ा गया है। घरों से निकलने वाले सीवेज जल को पाइपलाइनों के माध्यम से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचाकर उपचारित किया जा रहा है, वर्तमान में शहर से होकर एसटीपी प्लांट में पहुंचने वाले लगभग 26 एमएलडी सीवेज जल को उपचारित कर इसका 95 प्रतिशत से अधिक बेहतर गुणवत्ता का पुनः उपयोगी जल और शेष खाद में उपयोग करने योग्य स्लज प्राप्त किया जा रहा है।

सागर में जल प्रबंधन को बेहतर बनाने के इन प्रयासों को केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित जल ही अमृत योजना अंतर्गत सराहा गया है।

उल्लेखनीय है की स्वच्छ भारत मिशन 2.0 एवं अमृत 2.0 दोनों ही अपशिष्ट जल प्रबंधन पर केंद्रित हैं। भारत सरकार ने अपशिष्ट जल प्रबंधन को प्रोत्साहित करने के लिए जल ही अमृत योजना लागु की है। इसके तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के निकायों में सीवेज उपचार संयन्त्रों (एसटीपी) के कुशलतापूर्वक प्रबंधन, यूनिट संचालन, निगरानी तंत्र, वॉटर डिस्चार्ज मानकों का अनुपालन, एसटीपी में सुरक्षा व स्वच्छता, मानव संसाधन उपयोग, उपचारित प्रयुक्त जल और बायोसॉलिड्स के पुनः उपयोग के लिए प्रावधान, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की उपलब्धता और नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, फीकल स्लज का सह-उपचार और नवाचार प्रणाली आदि बिन्दुओं पर मानक निर्धारित कर अंक दिये गए हैं।

अंकों के आधार पर स्वच्छ जल क्रेडिट थ्री स्टार से फाइव स्टार रेटिंग प्रदान की जाती है।