मध्यप्रदेश में 130 सीटों पर भाजपा का आना तय है
जमीनी स्तर का एक्जिट पोल नहीं है कथित चैनलों का, बुंदेलखण्ड हो या फिर समूचा मध्यप्रदेश बूथ लेबल पर जनमत की कैप्चर कैपेसिटी इस बार भाजपा की बढ़ी है, और यह बढ़त मतगणना के नतीजों में साफ तौर पर देखने को मिलेगी. कांग्रेस कुछेक विधानसभा क्षेत्रों में अपनी जीत का डंका बजा सकती है लेकिन नतीजों में भाजपा सिरमौर नजर आ सकती है. भय भूख भ्रष्टाचार ये पंच लाईन अब बीते समय की हो गई हैं । मुस्लिम वोटर भाजपा की तरफ बढ़ा है । अकेले सागर संभाग के दमोह विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में मुस्लिम वोटर नजर आया है. सागर सुरखी खुरई रहली में भी मुससलमानों ने भारतीय जनता पार्टी से इत्तेफाक रखा है, शुरुआत में भाजपा के पक्ष में बनती बिगड़ती परिस्थितियां बनीं लेकिन मतदान का समय करीब आते आते जनमत सीध लेता नजर आया है, वार्ड स्तर पर नेताओं ने इतनी मेहनत नहीं की है जितनी मेहनत इस बार खुद मतदाताओं ने अपनी बौद्धिक क्षमता को साधकर मतदान करने में की है. एक बड़ा अध्ययन रहा है मेरा इस पूरे चुनाव में, भाजपा की हार, उसके बाद उपचुनाव फिर भाजपा की जीत और वो विधायक जीते जो ताजा ताजा भाजपा के हुए थे. 2020 में 28सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी का जनमत खड़ा कर दिया था, उस समय एण्टी इनकमबेंसी, भय,भूख, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के मुद्दे किधर गुम हो गए थे. 2020 के उपचुनाव के बाद दरअसल कांग्रेस पार्टी विपक्ष में रहते हुए प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में जनहित के मुद्दे ठीक तरह से उठा ही नहीं पाई और जनमत को अपने साथ साधकर नहीं चल पाई. कोरोना की दो बड़ी लहर, उसके बाद जमीनी स्तर पर घरों में आर्थिक तंगहाली के दौर से मौजूदा सरकार ने लोगों का संबल बढ़ाकर उन्हें उभारा निजी और सरकारी अस्पतालों में भाजपा ही मरीजों की नब्ज टटोलती नजर आई कांग्रेस तो दिखी ही नहीं. जनभावनाओं को साधकर जो पार्टी चलेगी सरकार वही चलाएगी ये बड़ी टैग लाईन है किसी भी पार्टी के लिए बूस्टअप होने में. लाड़ली बहना योजना देकर सरकार ने ग्रहणियों की रसोई में हाथ बँटाने का काम किया,तो छप्पर हटाकर छत देने का भी काम भाजपा ने किया. ये वो मापदण्ड हैं जो मूलभूत आवश्यकताओं की परिपाटी में भाजपा के जनमत को तैयार करने में खरे उतरे हैं. मैं तो ये कहता हूँ कि भारतीय जनता पार्टी का इंसाईक्लोपीडिया अगर लिखा जाएगा तो निश्चित रूप से भाजपा के पक्ष में अभिव्यक्ति का एक बड़ा जमघट तैयार हो जाएगा. अब वो कट्टर मुस्लिम भी जो यह मानकर चल रहे थे कि हुकूमत हमारी वफादार नहीं, वो आज ये मानकर चलने लगे हैं कि हर योजना में पूरी वफादारी के साथ भाजपा सरकार मुसलमानों को साथ लेकर चल रही है. तो अब ऐसे में कहा बचा कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टीकरण, सब खत्म है अब. कांग्रेस को वजूद में आने के लिए जनमत इकट्ठा करने के लिए कई नवाचार करना पड़ेंगे और पुराने पैटर्न को कुचलना पड़ेगा. फिलहाल 2023 का विधानसभा चुनाव भाजपा के पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है, और मध्यप्रदेश में 130 सीटों पर भाजपा का आना तय है. और आगामी लोकसभा चुनाव में प्रदेश की बची एकमात्र सीट भी भाजपा हथिया लेगी और 29 में से 29 लोकसभा सीटों पर भाजपा सिरमौर बनेगी.
तनवीर अहमद (एडिटर इन चीफ) C7न्यूज़