जीने की कला है लाइफ़ लॉंग लर्निंग एजुकेशन-प्रो.

“शिक्षा और संस्कृति के साथ हमेशा कुछ नया सीखना है कुछ नया करना है, इसके लिए औपचारिक एवं अनौपचारिक रूप से शिक्षा व्यवस्था हमारे सामाजिक परिवेश के अनुरूप होनी चाहिए. परंपरागत ज्ञान और परस्पर सीख की तकनीकों से सामाजिक विकास की गति को तेज करने की कोशिश है लाइफ़ लॉंग लर्निंग. आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में इसके स्वरूप को और समृद्ध करने की जरूरत है.”

ये विचार दिए प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने एक अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन में.

क्षत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में आयोजित एक अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए प्रोफेसर राजपूत ने कहा कि भारतीय संस्कृति शिक्षा से ज्ञान और प्रज्ञा की अकादमिक यात्रा की साधना को स्थान देती है. हमको हर वर्ग और हरएक आयु वर्ग के व्यक्ति के लिए सीखने के नए व पुराने आयामों को समृद्ध बनाना है. प्रोफेसर राजपूत ने पुलिस, सेना, कृषक, मजदूर, उद्योग, जेल आदि में शिक्षा के नये आयाम पर काम करने की जरूरत है.

अधिवेशन में प्रो सीमस आयरलैंड, प्रो Soren डेनमार्क, Prof जेपी दूबे दिल्ली, प्रो सुधांशु कानपुर, प्रो संदीप सिंह कानपुर ने संबोधित किया.