“सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक महान विधि-वेत्ता दानवीर शिक्षा-ऋषि डॉक्टर हरीसिंह गौर एक ऐसे व्यक्तित्त्व के रूप में आलोकित हैं, जिन्होंने देश और दुनिया को एक नई दिशा और गति दी है. ज्ञान और सम्मान के साथ आत्मविश्वास की ताकत को प्रगति और समृद्धि का आधार बनाने वाले डॉ गौर ने विश्व में हुकूमत करने वालों पर भी ज्ञान-विजय पायी है. भारत से लेकर ब्रिटेन तक सागर के सर गौर ने सिद्ध कर दिया कि शिक्षा और आत्मविश्वास से सब कुछ संभव हो सकता है. उनके व्यक्तिव से सीख मिलती है कि यदि हम अपनी क्षमताओं का समय पर भरपूर उपयोग करते हैं तब अभाव और प्रभाव कुछ नहीं होते. डॉ गौर ने जीत और गीत के नये अध्याय गढ़े हैं. संविधान निर्माण से लेकर कानून व्यवस्था तक, शिक्षा से लेकर प्रशासन तक, देश प्रेम से लेकर मानव कल्याण तक सभी दिशाओं में उन्होंने अपनी तरह से नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं. उन्होंने राहों को जीता है, मंजिलों को निखारा है और समय को संवारा है.
डॉ गौर कालजयी हैं, निर्माताओं के प्रणेता हैं और सागर के महासागर हैं, जिनमें रत्नों का भंडार समाया हुआ है. उनके द्वारा संवारे गये संविधान और संजोये गयी शिक्षा व्यवस्था से पल्लवित होकर बहुतों को भारत रत्न से सम्मानित होने का अवसर मिला है. कालजयी डॉ गौर को ‘भारत रत्न’ सम्मान मिले, समय की भी पुकार है.”
जय हिंद जय भारत जय गौर
प्रो दिवाकर सिंह राजपूत
संस्थापक समन्वयक- डॉ गौर पीठ
डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय,
सागर मध्यप्रदेश
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