25 दिस. समय के पन्नों पर खास इबारतें लिख गया

25 दिसम्बर समय के पन्नों पर कुछ खास इबारत लिख रहा है, कुछ पढ़ लिये कुछ बाकी है, कुछ लिख दिये कुछ लिखे जायेंगे. भारतीय संदर्भ में कुछ कहा जाए तो आज तुलसी पूजन दिवस है.

25 दिसम्बर को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म दिवस है, आज ही के दिन भारतीय राजनीति के पुरोधा पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी जन्म हुआ, 25 दिसम्बर को सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक महान दानवीर विधिवेत्ता शिक्षा ऋषि डॉ हरीसिंह गौर की पुण्य तिथि होती है. इतना ही नहीं है 25 दिसम्बर अनेक देशभक्तों देशप्रेमी स्वतंत्रता सेनानियों और समाजसेवियों के बलिदानों का भी दिवस है. सभी को सादर नमन करते हुए आज हम बात करेंगे उन तीन महान व्यक्तियों की जिन्होंने शिक्षा और समाज के लिए नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं. 

महामना पं मदन मोहन मालवीय – काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना. डॉक्टर सर हरीसिंह गौर – सागर विश्वविद्यालय की स्थापना, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी – सुशासन की स्थापना, संयोग देखिये कि तीनों ने ही शिक्षा को सेवा, सम्मान और कल्याण का आधार बनाया.

डॉक्टर हरीसिंह गौर ने संविधान सभा के सदस्य के रूप में जो योगदान दिया वह अतुलनीय है, विधि के क्षेत्र में उनकी लेखनी का पैनापन इतना की अथाह गहराई भी नाप लें, दूरदृष्टि ऐसी की आत्म निर्भरता के लिए उठाये गये कदम मील के पत्थर बन गये. शिक्षा के प्रति ऐसा समर्पण कि दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति, नागपुर विश्वविद्यालय के दो बार कुलपति और सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति के रूप में शैक्षणिक संस्थानों को सुदृढ़ आधार दिया. अपने जीवन का पूरा अनुभव और जमा पूंजी सागर विश्वविद्यालय की स्थापना में लगा दिये. महिलाओं को वकालत करने के अधिकार की मुहिम चलाने में अग्रणी, सर्वोच्च न्यायालय के आकार को दिशा देने की पहल, स्टाम्प पेपर आदि के भारत में प्रकाशन की शुरुआत, जैसे अनेक कार्य आज भी हम सबके लिए प्रेरणा और गौरव का विषय हैं.

आज सुशासन दिवस भी है. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी का 100 वाँ जन्म दिवस, जिन्होंने पूरे राष्ट्र को जोड़ने के लिए जिस सड़क परियोजना को आकार दिया गया, उसको आदि शंकराचार्य जी के चार धाम के नये आयाम के रूप में देखा जा सकता है. संपर्क और संवाद के साथ ही शिक्षा व जागरूकता के लिए उनके द्वारा आकार दिये गये सर्व शिक्षा अभियान भी कल्याणकारी दिशा में एक सार्थक कदम कहा जा सकता है. पोखरण परीक्षण, परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र की शानदार सफलता अटल जी के साहसी नेतृत्व की मिशाल है. इस तरह संपर्क सम्वाद, शिक्षा जागरूकता, सुरक्षा साहस के साथ अटल जी ने विश्व पटल पर देश को श्रेष्ठ स्थापना दिलाने के लिए नया इतिहास रच डाला. समाज, साहित्य और समय के साथ जीने की कला के महारथी थे अटल जी. उनकी कविताओं में शौर्य भी झलकता है और संदेश भी. अटल जी आप ‘अजर हो अमर हो अटल हो,

देश प्रेम की अनूठी ग़ज़ल हो.’

अटल जी के व्यक्तित्व पर बिल्कुल सटीक है ये पंक्तियाँ–

‘शब्द हो कथन हो स्वयं एक संपूर्ण भाषा हो,

जीवंत हो ज्वलंत हो व्यक्तित्व की परिभाषा हो.’

आज के विश्व व्यापी प्रति स्पर्धा के इस दौर में कुछ लोग भटक रहे हैं जब सम्मान और अस्तित्व की जगह सफलता और स्तुति को ही सब कुछ मान लेते हैं, ऐसे में इन महान व्यक्तित्व से सीखने की जरूरत होती है कि देशप्रेम, आत्मसम्मान और विश्व कल्याण ही सर्वोपरि है. प्रतिस्पर्धा रचनाधर्मी प्रगति के लिए होनी चाहिए, केवल स्व केंद्रित प्रसन्नता के लिए नहीं. शिक्षा से सीखने की कोशिश करनी चाहिए ना कि दिखावे की. संस्कृति और प्रकृति से न्याय और नेतृत्व का ज्ञान लें अभिमान नहीं. आइये! आज हम विश्व बंधुत्व और सर्व कल्याण की भावना से मातृभूमि और देशप्रेम की दिशा में समर्पित प्रयासों की शपथ लें. तभी सच्चे मायनों में सद्भावना सिद्ध हो सकेगी.

जय हिंद जय भारत जय गौर

अटल भारत अक्षुण्य भारत अतुलनीय भारत

प्रो (डॉ) दिवाकर सिंह राजपूत 

प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता 

मानविकी एवं समाजविज्ञान संकाय 

डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (मध्यप्रदेश)