“व्यक्ति जब अंदर से खोखला होता है, तब उसकी नीरसता क्रूरता में परिणित हो जाती है. आज के अंधानुकरण वाले दौर में इस तरह के खोखले लोग व्यक्ति से वस्तु बनने की होड़ में भटकते जा रहे हैं. इससे सामाजिक संबंधों में क्रूरता पैदा हो रही है. इसके समाधान के लिए सम्वाद और सोच की जरूरत है.” ये विचार दिये प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने “पावस पर्व” के अंतर्गत व्याख्यान माला की शुरुआत में मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन देते हुए.
जिला पुरातत्व, पर्यटन एवं संस्कृति परिषद, जिला सागर द्वारा ‘पावस-पर्व’ व्याख्यान माला का आयोजन किया गया. व्याख्यान माला के उद्घाटन चरण में
विषय रखा गया “सामाजिक संबंधों में क्रूरता : कारण एवं निवारण”. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन देते हुए डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के अधिष्ठाता प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि “अपने अंदर के खोखलेपन को भरने और भय को छुपाने के लिए आज का भटका हुआ व्यक्ति जाने अनजाने सामाजिक संबंधों को अपमानित करता है. आज का व्यक्ति व्यक्तित्व की जगह वस्तु बनता जा रहा है. दिखावटी और आभासी सोच के कारण नीरस हो रही जिंदगी के कारण सामाजिक संबंधों में क्रूरता बढ़ती जा रही है. हमें अपने समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों की ओर वापिस लौटना होगा, तभी समाधान मिल सकेगा.” डॉ राजपूत ने कहा कि संयुक्त परिवारों का विघटन और दूसरों की होड़ में हम अपने अस्तित्व को भी भूलते जा रहे हैं. हम खुद को अपने अंदर नहीं खोज पाते बल्कि दूसरों की सोच में खुद को तलाशते हैं, इसीलिये भटकाव बढ़ रहा है.
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ दिव्या भनोट ने कहा कि अस्तित्व का संकट समस्याओं का कारण बन जाता है. आधिपत्य की लालसा भी क्रूरता पैदा करती है. विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश नेमा ने कहा कि दूषित सोशल मीडिया और दूषित सामाजिक परिवेश भी संकट को बढ़ावा देते हैं.
कार्यक्रम के संयोजक अपर कलेक्टर एवं नोडल अधिकारी रूपेश उपाध्याय ने विषय प्रवर्तन करते हुए रूपरेखा प्रस्तुत की. उन्होंने कहा कि डॉ दिवाकर सिंह राजपूत ने जो आव्हान किया है “आ ! अब लौट चलें” इसके अंतर्गत स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थानों में चरित्र निर्माण और साँस्कृतिक मूल्यों के लिए कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे जिससे बच्चों और युवाओं में सामाजिक संबंधों के प्रति सम्मान की भावना बढ़ेगी. कार्यक्रम में श्यामलम् से उमाकांत मिश्र, डॉ सरोज गुप्ता, डॉ अमर जैन, अमित सहित अनेक बुद्धिजीवियों ने सहभागिता की.
