महादेव श्री शिव सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में सर्वोपरि

“शिक्षक रचनाधर्मिता के पर्याय होते हैं. शिक्षक समस्या समाधान के सारथी भी माने जाते हैं. शिक्षक विचार मंथन से ज्ञान-अमृत प्राप्ति की राह दिखाते हैं.” यह विचार दिये प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने शिक्षक दिवस कार्यक्रम आयोजन के अवसर पर.

प्रोफेसर राजपूत ने कहा कि शिक्षक अकादमिक विमर्श और सार्थक संवाद से सर्जनात्मक पहल करते हैं. शायद यही है शिक्षा से क्षमता और कर्तव्य-परायणता की राह का पहला कदम सिखाने वाले शिक्षकों के व्यक्तित्व की पहचान. प्रत्येक प्राणी एक शिक्षक है और हर-एक दिन शिक्षक दिवस.” 

डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के समाजशास्त्र एवं समाज कार्य विभाग में शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से नित नूतन आयाम स्थापित करने की क्षमता रखने वाले शिक्षक संसार को आकार देते हैं, आधार देते हैं. शिक्षक ही समय और सृष्टि की सीख की राह को प्रशस्त करते हैं. सम्मान को स्थापित करते हैं और समस्याओं का समाधान करने की तकनीक भी शिक्षक ही सिखाते हैं. समय के सबसे सशक्त हस्ताक्षर होते हैं शिक्षक.

प्रो राजपूत ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता और कर्मयोग का पाठ सिखाने वाले कर्मयोगी श्रीकृष्ण और ब्रम्हांड नियंता ओंकार महादेव श्री शिव सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में सर्वोपरि हैं. समय और सृष्टि दोनों ही सीख की राह को प्रशस्त करते हैं.”

पूजा लोधी एवं अन्य शोधार्थियों ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. शोधार्थी अनुराधा शुक्ला, अजय, अतुल पांडे, शुभम एवं अन्य विद्यार्थियों ने शिक्षक दिवस पर अपने विचार व्यक्त किये.

कार्यक्रम का मंच संचालन शोधार्थी अमरमणि त्रिपाठी ने किया. लकी जड़िया ने आभार व्यक्त किया.