डाॅ. गौर के योगदान को किसी पटल पर रखकर प्रचारित करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि शैक्षणिक पटल पर हर विद्यार्थी सहित देशव्यापी शिक्षा के कुलीन व्यवस्थापकों के रोम रोम में डाॅ. गौर के योगदान की अमिट छाप बसी हुई है.
डाॅ. गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में गौर पीठ के समन्वयक प्रो. दिवाकर सिंह राजपूत की अकादमिक यात्राओं के दौरान विभिन्न संस्थानों के प्रमुखों के विचार इस बात का परिचायक हैं, कि डाॅ. गौर का योगदान आधुनिक भारत के निर्माण में एक जीवंत व्यक्तित्व के रूप में काम कर रहा है. और यह देश के शैक्षणिक पटल पर एक बड़ी उपलब्धि है.
डॉक्टर हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. भारत शरण सिंह ने कहा कि शिक्षा, दान और देश-प्रेम की दिशा में डॉक्टर हरीसिंह गौर के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उनको शत शत नमन है कि उन्होंने देश को उच्च शिक्षा के लिए आदर्श विश्वविद्यालय की स्थापना की, संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया और देश की श्रेष्ठता के लिए अनेक कदम उठाए.
इस अवसर पर डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, अधिष्ठाता एवं गौर पीठ समन्वयक डॉ दिवाकर सिंह राजपूत ने मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, भोपाल के अध्यक्ष प्रो. भारत शरण सिंह को डॉक्टर गौर की जीवनी भेंट की और डॉ गौर के योगदान पर चर्चा की.