◽️चाय वाले ने लिया डिस्पोजल इस्तेमाल न करने का संकल्प.

सुबह-सुबह का समय चितरंजन रेलवे कॉलोनी के पीछे तिराहे की चाय की दुकान के सामने गाड़ी रूकती है उसमें से निगम आयुक्त और उनके साथ अन्य अधिकारी उतरते हैं और वहां चाय बेचने वाले लड़के से पूछते हैं कि तुम चाय गिलास में देते हो या डिस्पोजल में, तो वह कहता है कि कभी-कभी डिस्पोजल में भी दे देते हैं, पर कांच के गिलास उपलब्ध हैं, यह सुनकर निगम आयुक्त उसे अपनी ओर से कांच के गिलास देते हैं, और कहते हैं कि वह इन गिलासों में ही चाय दे, ताकि डिस्पोजलों से गंदगी ना फैले और ग्राहक को भी कोई बीमारी ना हो जिसे पाकर वह चाय वाला खुश होता है और निगम की इस पहल का स्वागत करते हुऐ डिस्पोजल का उपयोग नहीं करने का संकल्प लेता है.

फिर निगम आयुक्त सब्जी मंडी परिसर में जाते हैं और वहां भी आसपास के दुकानदारों को डिस्पोजल के स्थान पर कांच के गिलास का उपयोग करने की सलाह देते हैं और उन्हें कांच के गिलास भी देते हैं तो वह दुकानदार कहते हैं कि अब वह रोज-रोज डिस्पोजल खरीदने से बच जाएंगे और यह गिलास उनकी आर्थिक बचत करने में मददगार होंगे.

              निगम आयुक्त राजकुमार खत्री द्वारा “सागर का सुकून” अभियान के तहत डिस्पोजलों के स्थान पर कांच, स्टील या मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने के लिए चलाए जा रहे हैं अभियान के अंतर्गत लोगों को डिस्पोजल सामग्री के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने का लगातार काम किया जा रहा है ताकि डिस्पोजल सामग्री के उपयोग से स्वास्थ्य को होने वाले दुष्प्रभाव से नागरिक जागरुक हो, और कांच, स्टील, और मिट्टी से बने बर्तनों का उपयोग करें ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव ना पड़े और नगर की स्वच्छता भी बनी रहे.

सब्जी मंडी में उन्हें कुछ लोग हाथों में कपड़े का थैला लिए सब्जी खरीदते मिल जाते हैं तो वह उनकी प्रशंसा करते हैं और कहते हैं कि अमानक पॉलीथिन के स्थान पर इन थैलों का उपयोग करना समय की आवश्यकता है क्योंकि पॉलिथीन के दुष्प्रभाव से हम सबको जागरूक होना आवश्यक है और शहर की सफाई व्यवस्था और नालियां चोक करने में अहम भूमिका निभाने वाली पॉलिथीन के उपयोग को रोकना है ताकि हमारा शहर स्वच्छ रहे.

वह सब्जी मंडी गेट के सामने एक कबाड़ की दुकान पर जाते हैं, और आसपास के लोगों और महिलाओं को समझाते हैं कि जो कबाड़ के रूप में बोतल या अन्य प्लास्टिक सामग्री आती है उसको वह किसी कलाकृति का रूप देकर पुनः उपयोगी बना सकते हैं, और बाजार में विक्रय कर आर्थिक लाभ भी कमा सकते हैं, इसके लिए महिलाओं को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है.