म.प्र.साहित्य परिषद ने मनाई गुरू पूर्णिमा

म.प्र.साहित्य परिषद सागर ने महार्षि वेद व्यास के प्रकट दिवस को गुरू पूर्णिमा पर्व के रूप में मनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रांतीय कोषाध्यक्ष श्रीमति डाॅ.वंदना गुप्ता ने की ।

मुख्य वक्ता अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य पंडित महेश दत्त त्रिपाठी ने गुरू के कई रूपों का उल्लेख करते हुए कहा हमारे जीवन के तीन गुरूओं का वर्णन है। हमारे जीवन के प्रथम गुरू हमारे माता-पिता होते हैं वे हमें सामाजिक संस्कार एवं घर-परिवार के संस्कार देने वाले महत्वपूर्ण गुरू हैं जो सदैव जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। द्वितीय गुरू हमारे शिक्षक होते हैं जो हमें सांसरिक भौतिक शिक्षा देते हैं तथा वर्तमान में अर्थोपार्जन के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। ये हमारे शैक्षिक गुरू हैं। तृतीय गुरू जो हमें धर्म संस्कार और आध्यात्म संस्कार देते हैं तथा जीवन में सन्मार्ग में चलने की प्रेरणा और प्रोत्साहन देते हैं । वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य पंडित महेश दत्त त्रिपाठी ने महाकवि कबीर के ” दोहा सब धरती कागज करूं लेखनी करूं बन राय सात समुंद की मसीह करूं गुरु गुण लिखा न जाए” की व्याख्या करते हुए गुरु की महत्व प्रतिपादित की एवं महर्षि वेदव्यास जी के प्रकट स्थल कृष्ण द्वीप पर्वत तथा उनके रचित ग्रंथ महाभारत 18 पुराण श्रीमद् भागवत के विषय में विस्तृत प्रभावित उद्बोधन देकर सभी को मंत्र मुक्त किया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ.वंदना गुप्ता ने साहित्य परिषद के कार्य संयोजन व गुरू पूर्णिमा का महत्व प्रतिपादित किया। संभागीय अध्यक्ष प्रभात कटारे ने गुरू पूर्णिमा पर्व पर स्वागत भाषण दिया। द्वितीय सत्र में सरस्वती वंदना सचिव श्रीमति ज्योति दीक्षित ने सुनायी एवं गुरू के महत्व पर कविता सुनायी। संचालन डाॅ.नलिन निर्मल ने किया।

कार्यक्रम में संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी, वृन्दावन राय सरल, मुकेश रघुवर तिवारी,मुकेश सोनी रहबर,पुष्पेन्द्र दुबे कुमार सागर, प्रभात कटारे,महेश दत्त त्रिपाठी, डाॅ.वंदना गुप्ता, क्रांति जबलपुरी,आदर्श दुबे गजलकार, नलिन जैन आदि ने काव्य पाठ किया।