बी . टी. इंस्टिट्यूट ऑफ़ एक्सीलेंस महाविद्यालय मकरोनिया सागर में गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया कार्यक्रम में डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के प्राणी विज्ञान विभाग के सेवानिवृत प्रोफेसर सुबोध कुमार जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की ।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के संचालक श्री संदीप जैन एवं प्राचार्य डॉ राजू टंडन कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राजू टंडन ने अपने उद्बोधन में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि शिष्य की श्रद्धा ही गुरु को गुरु बनाती है इसलिए जितना गुरुत्व का विचार करने की आवश्यकता है उतना ही शिष्यत्व का विचार करने की आवश्यकता है गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु का मान सम्मान करना है, ताकि शिष्यत्व हमारे मन में सदा जागृत रहे हमारा शिष्यत्व जागृत रहेगा तो गुरु हमारे लिए गुरु बन सकेगा, इस संबंध में उन्होंने एकलव्य का उदाहरण देते हुए कहा कि एकलव्य अपने आप को बड़ा नहीं मान रहा उसके अंदर उद्दण्डता है वह अपने आप को आवश्यकता से अधिक योग्य मानता है ये सारी बातें हैं किंतु द्रोणाचार्य के प्रति उसके मन में पूर्ण श्रद्धा है कि वो मुझसे बड़े हैं वो धनुर्विद्या मुझसे अधिक जानते हैं अर्जुन, दुर्योधन और भीम से वह स्वयं को श्रेष्ठ मान रहा है इन राजकुमारों में राजघराने में जन्म लेने के अलावा कोई विशेषता नहीं है मैं भले ही वनवासी हूं भील राजा का पुत्र हूं किंतु मुझमें धनुर्विद्या सीखने की क्षमता, योग्यता इन राजकुमारों से अधिक है, उनकी तुलना में वह स्वयं को लघु नहीं समझ रहा है किंतु द्रोणाचार्य के पास मुझसे अधिक ज्ञान है और उनसे मुझे शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए वह उसके मन में शिष्यत्व प्रकट है इसलिए वह मन में श्रद्धा लिए हुए द्रोणाचार्य की मूर्ति की स्थापना करता है उस मूर्ति के अंदर प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य की गुरुता को वह मानता है और स्वयं की लघुता को पहचानता है इसलिए वह पाषाण की मूर्ति में भी उसको धनुर्विद्या सीखा पाती है शिष्य की श्रद्धा उसकी लघुता को गौरवान्वित महिमन्वित कर देती है और उसी से गुरु की महिमा जागृत होती है ,गुरु का गुरुत्व जागृत होता है ।
महाविद्यालय के संचालक श्री संदीप जैन ने अपने उद्बोधन में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में शिक्षा ग्रहण करना उतना चुनौती पूर्ण नहीं है जितना की एक छात्र संस्कारवान बने एवं अपने परिवार के माता-पिता एवं गुरु का सम्मान करें ऐसा करने से निश्चित तौर पर उस छात्र के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास होगा बी. टी. ग्रुप इसी लक्ष्य को लेते हुए आगे बढ़ रहा है।
प्रोफेसर सुबोध जैन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्राचीन भारतीय सनातन ज्ञान परंपरा अति समृद्धि थी तथा इसका उद्देश्य धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को समाहित करते हुए व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व को विकसित करना था जब सारा विश्व अज्ञान रूपी अंधकार में भटकता था तब संपूर्ण भारत के मानषी उच्चतम ज्ञान का प्रसार करके मानव को पशुता से मुक्त कर श्रेष्ठ संस्कार से युक्त कर संपूर्ण मानव बनाते थे इन गुरुकुल प्रणालियों से निकले कपिल गौतम आदि ने अपने ज्ञान के वैभव से संपूर्ण विश्व को अलौकिक किया वर्तमान परिदृश्य में भारत सरकार द्वारा पारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य भारत की परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यो के आधार को संम्बल प्रदान करते हुए देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को प्राप्त करना है इसका उद्देश्य ऐसे छात्रों का विकास करना है जो तर्कसंगत विचार और कार्य करने में सक्षम हो। जिन में करुणा और सहानुभूति, साहस और लचीलापन, वैज्ञानिक चिंतन और रचनात्मकता, कल्पना शक्ति एवं नैतिक मूल्य का समावेश हो ।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं बड़ी संख्या में छात्रों ने अपनी सहभागिता की कार्यक्रम का संचालन किरण तिवारी, फरहीन खान और वैभव नामदेव ने किया एवं आभार महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजू टंडन ने किया।