प्रधानमंत्री के क्षेत्र में किस प्रकार का आतंक फैला हुआ है इसकी कल्पना प्रधानमंत्री जी को इन दो घटनाओं से करना चाहिए. मैं चाहूंगा कि वह आगामी “मन की बात” में इस बारे में कुछ कहें. संवैधानिक स्थिति स्पष्ट करें.
काशी विद्यापीठ की घटना
उत्तर प्रदेश के बनारस के काशी विद्यापीठ में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना ने समूचे उत्तर प्रदेश को और देश को झक झोर दिया है. विश्वविद्यालय में इस प्रकार की सामूहिक बलात्कार की घटनाएं देश में अपवाद ही हैं, और वह भी प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में होना न केवल कानून व्यवस्था के बदतर हालात को बल्कि राजनैतिक दबाव को भी प्रकट करती हैं. यद्यपि 60 दिनों के बाद उप्र की काबिल पुलिस ने उन 3 अपराधियों को गिरफ्तार किया है जो इस घटना के अपराधी हैं, और यह तीनों ही भारतीय जनता पार्टी विश्व हिंदू परिषद या अन्य सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी हैं. मैं यह नहीं मानता की इसके लिए सीधे प्रधानमंत्री की जवाबदारी है. परंतु प्रधानमंत्री जी से यह अवश्य कहना चाहूंगा कि कभी “अपने मन की बात” में इस पर विचार कीजिए कि आपके क्षेत्र में लोगों को अपराधियों को इतनी छूट कैसे है कि वे ऐसा दुस्साहस कर सकें.
दल के नाम पर पार्टी के नाम पर आपके दल के समर्थकों से पुलिस व प्रशासन भयभीत क्यों रहते हैं कि वह विश्वविद्यालय में सामूहिक बलात्कार कर सकें. इसका मतलब साफ है कि जो प्रशासन तंत्र है वह तंत्र एक दलीय रास्ते पर चल रहा है और जाने अनजाने या चाहे अनचाहे सही या गलत वह मानता है की वहां का हर भाजपा का पदाधिकारी कानून से परे है क्योंकि वह प्रधानमंत्री का क्षेत्र है और उनके समर्थकों को हर अपराध करने का अधिकार है.
अच्छा होता कि प्रधानमंत्री जी इस घटना के बाद स्पष्ट संकेत और संदेश देते कि किसी भी दल का व्यक्ति क्यों ना हो अगर अपराध करता है तो उसे छोड़ा न जाए.
घटना के 60 दिन बाद गिरफ्तारी
स घटनाक्रम में भी यद्यपि तीनों अपराधी गिरफ्तार हुए हैं परंतु उन की गिरफ्तारी में साठ दिन का समय लगा. यह कितना विचित्र है कि अपराधी मध्य प्रदेश में आकर चुनाव प्रचार करते रहे भाजपा का काम करते रहे पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी.
प्रधानमंत्री के क्षेत्र में घटनायें
प्रधानमंत्री जी को सोचना चाहिए इसके पहले भी उनके पसंद के एक कुलपति जिन्हें इलाहाबाद से बनारस भेजा गया था, के कार्यकाल में बेटियों ने अपनी शिकायत दर्ज की थी. क्योंकि उनके छात्रावास के कमरों की खिड़कियों के सामने नौजवान लोग खड़े होकर के क्या जंगली आचरण करते थे इसकी शिकायत बेटियों ने कुलपति से की थी. कुलपति ने बजाए उनके शिकायत को सुनकर अपराधियों पर कार्रवाई करने के या ऐसे छात्रों के ऊपर कारवाई करने के उन लड़कियों को ही डराना धमकाना शुरू किया. यहां तक के उनके ऊपर लाठियां चलाई गईं और वह तो जब प्रधानमंत्री का दौरा हुआ उसके पहले यह सूचना सीआईडी से दिल्ली पहुंची तब कुलपति को हटाया गया.
अच्छा संदेश जायेगा
प्रधानमंत्री के क्षेत्र में किस प्रकार का आतंक फैला हुआ है इसकी कल्पना प्रधानमंत्री जी को इन दो घटनाओं से करना चाहिए. मैं चाहूंगा कि वह आगामी “मन की बात” में इस बारे में कुछ कहें. संवैधानिक स्थिति स्पष्ट करें. प्रशासन तंत्र को अधिकारियों को स्पष्ट निर्देशित करें और इन दोनों घटनाओं के लिए बेटियों के साथ जो हुई है उनके लिए स्वत: रूप से खेद व्यक्त करें ताकि देश में अच्छा संदेश जाए.
जिन अधिकारियों ने उन्हें सूचना नहीं दी उन पर भी अपनी कर्तव्य हीनता के लिए कार्यवाही हो.
– रघु ठाकुर (संरक्षक) लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी