“वर्तमान समय में पूरे संसार में बच्चों के व्यक्तित्व विकास और समस्या समाधान के लिए चिंतित होना एक स्वाभाविक सी बात बन गई है. सामान्य अवस्था में भी बच्चों की काउंसलिंग के लिए सभी कोशिश करते हैं. ऐसी दशा में बच्चों के विकास और सुरक्षा के लिए काउंसिलिंग एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है. इसलिए बच्चों की काउंसलिंग करते समय उनके सम्मान, संवाद और समाधान के प्रति सावधानी बरतना बेहद जरूरी हो जाता है.” यह विचार दिये प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान देते हुए. प्रोफेसर राजपूत ने कहा कि एक अच्छा काउंसलर सबसे पहले बच्चे को समझने की कोशिश करता है. उसके परिवेश और पारिस्थितिकी को बारीकी से जानना चाहता है. तब उसको सुनता है और महसूस करता है.
प्रो राजपूत ने कहा कि बच्चों को आभासी दुनिया में खो जाने की बजाय वास्तविक और व्यावहारिक दुनिया में जीवन जीने का अवसर देना चाहिए. उनपर लक्ष्य केंद्रित कार्य की जिम्मेदारी पैदा हो, ऐसी राह दिखानी चाहिए.
सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी जोधपुर अंतर्गत संचालित बाल संरक्षण केंद्र जयपुर राजस्थान द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों से काउंसिलर ने हिस्सा लिया. ऑनलाइन माध्यम से सभी ने अपनी-अपनी जिज्ञासा एवं समस्याओं को रखा जिनका समाधान प्रो राजपूत ने अकादमिक एवं व्यवहारिक आधार पर किया.
कार्यक्रम का संचालन डॉ विमल ने किया और डॉ प्रवीण ने आभार व्यक्त किया.
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