भगवान् की भक्ति से ही कल्याण होगा – रसराज जी

कथा व्यास रसराज दास महाराज ने कथा के तृतीय दिवस में भगवान् के भक्तों की महिमा बताते हुए माता सती, बाल भक्त ध्रुव के चरित्र को सुनाते हुए कहा की ध्रुव ही ऐसे भक्त हैं जिन्होंने कम आयु और कम समय में ही भगवान् का प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त कर लिया.

सागर के पोद्दार कॉलोनी में आयोजित श्रीमद भागवतम कथा में मलूक पीठाधीस्वर श्री राजेंद्र दास महाराज के कृपापात्र शिस्य कथा व्यास रसराज दास महाराज ने कथा के तृतीय दिवस में भगवान् के भक्तों की महिमा बताते हुए माता सती, बाल भक्त ध्रुव के चरित्र को सुनाते हुए कहा की ध्रुव ही ऐसे भक्त हैं जिन्होंने कम आयु और कम समय में ही भगवान् का प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त कर लिया और राजा परीक्षित जी ऐसे भक्त हैं जिनको माता के गर्भ में ही भगवान् के दर्शन हो गए उन्होंने हमेशा लोकहित में कार्य कर भगवान की भक्ति की और हम संसारी जीव जीवन भर दो कामों में लगे हुए हैं एक तो दिनभर कमाने में और बाकी समय रात में सोने में समय नष्ट कर रहे हैं इसी दो कामों में पूरी उम्र निकल जाती है अगर हमारी आयु सौ वर्ष की भी है तो पचास वर्ष सोने में ही निकल जाते हैं और शेष वर्ष कुछ बचपन में और अन्य कार्यो में गुजर जाते हैं. हम भगवान् की भक्ति के लिए समय ही नई दे पाते इसलिए हम सबको संसारी कार्यों के साथ साथ भगवान् के नाम जप और भक्ति में भी समय देना चाहिए, जन्म मरण के चक्कर से छूटने के लिए हमें भगवान् की ही भक्ति करनी होगी. उन्होंने कहा की सायंकाल हमें चार कार्य नहीं करना चाहिए. भोजन, अध्ययन, सोना और संतान प्राप्ति की कामना नहीं करना चाहिए नहीं तो हमारा कल्याण नहीं हो सकेगा. महाराज जी ने कहा शरीर और आत्मा का बंधन नहीं होता बंधन मन का होता है, मन बहुत बलवान होता है अगर इसी मन को हम भगवान् की कथा और सेवा में लगा देवें तो हम इस संसार से मुक्त हो जायेंगे इसलिए अपने मन को संसारी भोगों में नहीं लगाना है. महाराज जी ने कहा की भगवान् के नाम का उच्चारण और कीर्तन करने से ही सभी तीर्थों का दर्शन, सभी व्रत और सभी यग्गों का फल प्राप्त हो जाता है. अगर चांडाल भी भगवान् का नाम पुकार लेवे तो उसका भी कल्याण हो जायेगा.

 


कथा में वरिष्ठ समाजसेवी संतोष पांडे, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अंकलेश्वर दुबे, युवा ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष भरत तिवारी ने महाराज जी का फूलमाला से स्वागत कर आशीर्वाद लिया.