गोपी गीत का पाठ एक वर्ष तक जो भी नियमित रूप से करता है उसे भगवान् का प्रेम प्राप्त हो जाता है उसे भगवान् के प्रेम का ऐसा नशा चढ़ता है जो जीवन भर नहीं उतरता
सागर के पोद्दार कॉलोनी में आयोजित श्रीमद भागवत् कथा में मलूक पीठाधीस्वर श्री राजेंद्र दास जी महाराज के कृपापात्र शिष्य कथा व्यास रसराज दास जी महाराज ने कथा के छटवें दिवस में भगवान की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया. उन्होंने कहा की शरद पूर्णिमा में भगवान की रासलीला बहुत अद्भुत है जिसमें सभी को प्रवेश नहीं है विशेष भक्तों को ही इसमें शामिल किया जाता है. जिसमें थोड़ी सी भी वासना है वह भगवान् की इस लीला का दर्शन नहीं कर सकते, हमें अपने मन को पूर्णता शुद्ध रखना होगा, और जब भगवान् की कृपा होती है तो वह हमें निष्काम भक्ति प्रदान कर अपनी लीलाओ में साथ रखते हैं उन्होंने कहा कि ब्रज की गोप गोपिकायें भगवान कृष्ण के प्रेम में इतने दीवाने थे कि एक पल को भी उनका संग नही छोड़ते थे उनको भगवान् का विरह सहन नहीं होता था, इसी तरह हमें भी गोपियों की तरह भगवान् से इतना प्रेम करना है कि हमारा मन भी संसारी कार्य करते हुए भी सदैव भगवान् में लगा रहे तभी हम गोपियों की तरह भगवान् को प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि गोपी गीत का पाठ एक वर्ष तक जो भी नियमित रूप से करता है उसे भगवान् का प्रेम प्राप्त हो जाता है, उसे भगवान् के प्रेम का ऐसा नशा चढ़ता है जो जीवन भर नहीं उतरता, गोपियां भगवान् के प्रेम में उनके लिए रोया करती थीं इसलिए हमको भी भगवान् के प्रेम में व्याकुल होके रोना चाहिये तभी भगवान् हमको भी गोपियों की तरह हमसे भी प्रेम करेंगे. हम सबको भगवान का प्रेम चाहिए है तो एक बार वृन्दावन में जाके ब्रज की रज में लोट लेना चाहिए तो हमें भगवान् के प्रेम का रंग चढ़ जायेगा.