श्री पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर गौरझामर तहसील देवरी जिला सागर में महासमाधिधारक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य आचार्य श्री समय सागर जी महामुनिराज के आज्ञानुवर्ती मुनिश्री विमलसागर जी महाराज मुनिश्री अंनतसागर जी महाराज मुनिश्री धर्मसागर जी महाराज मुनिश्री भावसागर जी महाराज के सानिध्य में प्रातः काल की बेला में, आचार्य श्री की पूजन की गई, शास्त्र अर्पण किया गया एवं मांगलिक क्रियाएं की गईं. कमेटी ने बताया कि मुनि संघ का पद बिहार गौरझामर से सागर की ओर हुआ 26 जून को रात्रि विश्राम बरकोटी के पास हुआ, और आज सुरखी में मंगल प्रवेश प्रातः 7 बजे एवं आहारचर्या संपन्न हुइ, संभावना है कि बांदरी,बरोदिया कलां होते हुए मुनि श्री चातुर्मास स्थल पहुंचेंगे.इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमलसागर जी महाराज ने कहा कि मृत्यु डर कर भाग जाती है जो मृत्यु से डरता नहीं है, कर्मों को नष्ट करके अजर अमर बनना चाहिए, चाह ही संसार में दाह का कारण बनती है, जिसे कुछ नहीं चाहिए वह शहंशाह होता है, स्वर्ग के द्वार खोले जाते हैं अच्छे व्रत नियम से यह जड़ से दुखों को नष्ट कर देते हैं.
मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कि दुर्भावना का शरीर पर विशेष प्रभाव पड़ता है. अपने स्वरूप में मानव मन जितना पावन होता है उतना ही इस मन में दुर्भावनाओं का गहरा प्रभाव भी प्रायः हो जाता है. जिनसे मन विकृत होता है इस मन विकृति का दुष्प्रभाव शरीर की नियमित और स्वस्थ प्रक्रिया पर अवश्य ही पड़ता है. वर्तमान युग वैज्ञानिक होने के कारण अब उन तथ्यों की गहराई तक पहुँचना संभव हो सका है जिससे मन की दुर्भावनाओं का शरीर की प्रक्रिया पर पड़ा हुआ दुष्प्रभाव और उनके कारणों को स्पष्ट किया जा सकता है. अनेक वैज्ञानिक शोधों के उपरांत यह प्रमाणित हुआ है कि घृणा, ईर्ष्या, बेइमानी, चिंता, कंजूसी, अकड़, प्रमाद और अहम का मानव हार्मोंस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. जिससे अनेक प्रकार की बीमारियाँ भी शरीर पर अपना कब्जा कर लेती हैं. किस दुर्भावना का कौनसे हार्मोंस पर प्रभाव पड़ता है और उससे यह बीमारियाँ हो सकती हैं.
चालाकी से थाइरोक्सिन, इंसुलिन, एड्रीनोलिन का अल्पस्राव, प्रभाव-थाइराइड, डायबटीज, कैंसर, उच्च रक्तचाप, एलर्जी दुर्भावना-घृणा, ईर्ष्या, जलन, चिंता बेइमानी, हार्मोन-वसोप्रेसिन टेस्टोस्टेरान एण्ड्रोजन गोंडा ट्रापित आक्सीटोसिन का अल्प स्राव
प्रभाव-नपुंसकता, बांझपन, शीघ्र स्खलन, चिड़चिड़ाहट, अनिद्रा जिद्दी स्वभाव, दुर्बलता
दुर्भावना-कंजूसी, आलस्य, प्रमाद, हार्मोन-हाइपोथेलेमस, अक्रिपमिस्सीमीडिमा सेलोनिम सेरोटोनिन का अल्प स्राव,प्रभाव- कब्ज, अल्सर, एसीडिटी, डिप्रेशन, हाथ-पैरों में दर्द मोटापा
दुर्भावना-अकड़, अहंकार हार्मोन-पेराथेमिन केलेटोनोमिन थायरोक्सिन वेसीप्रेसिन ग्लकोकार्टिको स्टेराइड का अल्प स्राव,प्रभाव-ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया, प्रोस्टेट, किडनी समस्या, मोटापा
इस सब तथ्यों के आधार पर अब यह कहना बाकी नहीं रह जाता कि दुर्भावना का स्वास्थ्य और शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. इस तरह के वैज्ञानिक शोधों के माध्यम से आए हुए प्रतिवेदनों पर भरोसा करने के बाद यह बात भी हमें स्वीकार करनी होगी कि हजारों वर्ष पहले आचार्यों ने दुर्भावना के जो दुष्परिणाम बताए थे वे भी सदैव प्रासंगिक रहेंगे.

