गौर जयंती पर हुई स्वर्ण पदक देने की शुरुआत

श्री कैलाश सिंह राजपूत की स्मृति में 154 वीं गौर जयंती पर पहला स्वर्ण पदक 

अपराध शास्त्र में प्रथम स्थान पाने वाले विद्यार्थी को हर वर्ष मिलेगा यह स्वर्ण पदक

सागर विश्वविद्यालय में पदस्थ प्रोफ़ेसर, विभागाध्यक्ष, डीन, डाइरेक्टर एवं नोडल अधिकारी प्रो दिवाकर सिंह राजपूत द्वारा अपने पिताजी के सम्मान में स्वर्ण पदक देने की स्थापना की गई है. प्रो राजपूत ने बताया कि प्रति वर्ष एम. ए. अपराध शास्त्र विषय में प्रथम स्थान पाने वाले विद्यार्थी को यह पुरस्कार दिया जायेगा. प्रो राजपूत ने कहा कि “हर किसी के जीवन मे कोई प्रेरणा स्रोत जरूर होते हैं. हमारे जीवन में भी कई प्रेरणा स्रोत रहे हैं, उनमें सबसे पहला नाम आता है श्री कैलाश सिंह जी राजपूत का, जो पिता, गुरु, मार्गदर्शक, प्रेरक, आदर्श और भगवान सभी कुछ हैं हमारे लिए. उन्होंने ही हमको डॉक्टर हरीसिंह गौर, महाराणा प्रताप, गुरु नानक देव, स्वामी विवेकानंद, महारानी लक्ष्मी बाई, सागर विश्वविद्यालय, प्रकृति, ग्रन्थों, संसार और संस्कारों से परिचित कराया. उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान में स्वर्ण पदक की स्थापना हमारे लिए सौभाग्य की बात है.”सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक और संविधान सभा के सदस्य महान विधि वेत्ता डॉक्टर सर हरीसिंह गौर की 154 वीं जन्म जयंती के अवसर पर समूचा शहर और विश्वविद्यालय गौरमय हो गया. भव्य समारोह में विश्वविद्यालय में मेधावी छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर श्री कैलाश सिंह राजपूत की स्मृति और सम्मान में स्थापित स्वर्ण पदक की शुरुआत हुई है

उल्लेखनीय है कि विभागाध्यक्ष, प्रो दिवाकर सिंह राजपूत के पिता स्व. श्री कैलाश सिंह राजपूत ने जीवन भर त्याग- तपस्या और सेवा कार्यों में खुद को सदैव समर्पित रखा. उनसे प्रेरित होकर लोगों में उच्च शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ी है. उनकी प्रेरणा से ही दिवाकर सिंह ने अपराध शास्त्र में एम ए, नेट, जेआरएफ में कीर्तिमान बनाते हुए उच्च शिक्षा में कैरियर बनाने की शुरुआत की.