◽️सागर – रामकृष्ण परमहंस का अवतरण दिवस.

भजन कीर्तन कर मनाया स्वामी रामकृष्ण परमहंस का “अवतरण दिवस” 

लक्ष्मीपुरा दत्त मंदिर के सामने 1982 में सागर के समाजसेवी मदन चौरसिया के द्वारा स्थापित “रामकृष्ण भवन” में रामकृष्ण विवेकानंद भावधारा मंच के तत्वाधान में स्वामी रामकृष्ण परमहंस का “अवतरण दिवस” भजन कीर्तन के साथ हर्षोल्लास सहित भक्तों ने मनाया.

इंदौर से पधारी शास्त्रीय गायिका सुलभा चौरसिया, शिवानी चौरसिया के साथ मुंबई से पधारी शोभा चौरसिया ने दया करो मां देवी मां, जय काली कल्याण करे,हनुमान चालीसा, बेड़ा पार करो मां जैसे भजनों का संगीत मय गायन कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया. कार्यक्रम के आयोजक श्यामाचरण मुन्ना चौरसिया ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा की यह कार्यक्रम प्रतिवर्ष भगवान श्री रामकृष्ण परमहंस जयंती पर सागर जिले में एक स्थान पर दादा मदन चौरसिया द्वारा स्थापित मंदिर में मनाया जाता है. आर्ष परिषद के अध्यक्ष डॉक्टर ऋषभ भारद्वाज ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय देते हुए कहा कि वह एक प्रसिद्ध संत एवं स्वामी विवेकानंद के गुरु एवं युग चेतना के सूत्रधार थे. अखिल भारतीय साहित्य सृजन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य पंडित महेश दत्त जगन्नाथ प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि महाकाली के अनन्य उपासक रामकृष्ण परमहंस परम तत्व के ज्ञानी थे उनका बाल्य काल का नाम गदाधर था. दक्षिणेश्वर महाकाली मंदिर में पहले श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा अर्चना कर माता मुझे दर्शन दो कहते थे. ध्यान में समाधिस्थ होकर साधना करते थे साहित्यकार आध्यात्मिक चिंतक आचार्य महेश त्रिपाठी ने कहा कि उनकी पत्नी शारदा भी आध्यात्मिक मार्गी थीं असाधारण आत्म शक्ति से संपन्न रामकृष्ण परम हंसदेव ने सदैव दीन दुखियों की सेवा की. कामिनी कंचन को हमेशा त्याग कर विश्व को ज्ञान मार्ग दिखाया.

कार्यक्रम में पत्रकार विजय तिवारी, विनीता शर्मा, पूर्णिमा चौरसिया, पिंकी खटीक शिवम चौरसिया, गब्बर ऋषभ भारद्वाज, पूर्व प्राचार्य एमडी त्रिपाठी, संतोष चौरसिया,पंडित घनश्याम वैद्य, अंकुर कोस्टी नर बहादुर राजपूत,कवि पूरन सिंह राजपूत, अभय चौरसिया हरि कृष्ण शाक्य, केलाश कृष्णा उपस्थित रहे. प्रसादी वितरण कर कार्यक्रम का समापन किया गया.


ऋग्वेद त्रिपाठी, एडवोकेट डीपी तोमर ,श्यामा चरण मुन्ना चौरसिया ने सभी भक्तजनों का आभार प्रकट किया.


मंदिर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस विवेकानंद भगिनी निवेदिता सहित अनेक महापुरुषों के बड़े चित्रों का प्रदर्शन किया गया.