साप्ताहिक काव्य गोष्ठी का आयोजन

 सागर के तीनबत्ती स्थित सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय में साहित्य सरस्वती मंच की साप्ताहिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया  ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता युवा शायर के के मौर्य एसआई ने की। प्रथम सत्र में शहर के विद्वान साहित्यकार पंडित लोकनाथ सिलाकारी का स्मरण किया गया। मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण चौरसिया ने अपने समय के प्रकाण्ड पंडित लोकनाथ द्विवेदी सिलाकारी को उनके एक सौ बीसवें जन्मदिन पर स्मरण कर बताया कि हिन्दी साहित्य के व्याकरण तथा अनेक नाटक के लेखक सिलाकारी जी की विद्वत्ता का लोहा निराला से लेकर रामचंद्र शुक्ल ने तक माना वे बुंदेली को बोली नहीं अपितु भाषा मानते थे क्योंकि बुन्देली का लिखित साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है उनके लिखित नाटको का मंचन लगातार होता रहा। मुख्य अतिथी के के सिलाकारी ने उनके सामाजिक और साहित्यक योगदान पर चर्चा की, उपस्थित साहित्यकारों ने लोकनाथ सिलाकारी को याद कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार पूरन सिंह राजपूत जिनका 75 वाँ जन्म दिवस है के अवसर पर सभी उपस्थित कवियों ने उन्हें बधाई दी वा पूरन सिंह राजपूत के वर्तमान साहित्यक योगदान पर बात रखी,उनके चौकडिया अठवायी वा बुंदेली के विभिन्न छंदो में संकलित कविताओं पर राधाकृष्ण व्यास, अरूण दुबे, जी एल छत्रसाल आदि कवियों ने चर्चा की। द्वितीय सत्र में सरस काव्य मंचीय गोष्ठी में सरस्वती वंदना का पाठ देवकीनंदन रावत ने किया।

गजलकार लक्ष्मीनारायण चौरसिया,पूरन सिंह राजपूत, के के मौर्य, एम शरीफ,अरूण कुमार दुबे,पुष्पेन्द्र दुबे कुमार सागर,वृंदावन राय सरल,पी आर मलैया,डाॅ.नलिन निर्मल, जी एल छत्रसाल, के एल तिवारी अलबेला,उपदेश जारोलिया,आशीष नामदेव, आनंद मिश्र अकेला,संतोष साहू,क्रांति जबलपुरी, राजू चौबे,अबरार अहमद, महबूब ताज आदि ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

राजेन्द्र दुबे कलाकार, अमित आठ्या, हेमंत दुबे लंबरदार आदि श्रोता पूरे समय उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन राधाकृष्ण व्यास अनुज ने किया वा आभार गीतकार पुष्पेन्द्र दुबे कुमार सागर ने माना।