सुख शांति साधना शिविर का समापन.

करीब 70 नए साधकों को माला दीक्षा देने के साथ ही सागर में चल रहे तीन दिवसीय साधना शिविर का रविवार दोपहर समापन हो गया.

ओशो के अनुज सद्गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती और गुरु मां अमृत प्रिया ने अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान सागर ही नहीं बल्कि प्रदेश और देश के अलग-अलग हिस्सों से आए साधकों को ध्यान के कई प्रयोग कराए.

समापन की पूर्व संध्या पर ओशो मिलन संगीत सभा का आयोजन किया गया जिसमें सन्यासियों ने सद्गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती और गुरु मां अमृत प्रिया के समक्ष गीत संगीत, कविताओं और चुटकुलों की प्रस्तुति दी. इस दौरान मां अमृत प्रिया के सूफियाना गीतों पर सभी सन्यासी मस्ती में झूम उठे. आपको बता दें कि गुरु मां अमृत प्रिया ने प्रयागराज से संगीत विशारद की उपाधि हासिल की हुई है.

शिविर के अंतिम दिन की शुरुआत में आचार्य स्वामी आनंद जैन ने साधकों को जीवन में दर्शन का महत्व समझाते हुए सक्रिय ध्यान करवाया और साधकों की शंकाओं का समाधान किया.

दिन के दूसरे और शिविर के अंतिम सत्र में सद्गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने साधकों के प्रश्नों का उत्तर देकर उनकी जिज्ञासा शांत की.

“अपराधियों का मनोरोगियों की तरह हो इलाज”

अपने प्रवचन के दौरान सद्गुरु ने कहा कि अपराधियों का मनोरोगियों की तरह इलाज कराया जाना चाहिए ताकि उनमें सुधार आ सके. अभी तक ऐसा होता आया है कि सामान्य अपराध करने वाले व्यक्ति को भी खूंखार अपराधियों के साथ जेल में डाल दिया जाता है और फिर कुछ ही महीनों में वह सामान्य सा या छोटा सा अपराध करने वाला व्यक्ति भी इन दुर्दांत अपराधियों की संगत में रहकर एक शातिर अपराधी बन जाता है. इसलिए जरूरत है कि एक बार फिर से हमें सजा के प्रावधानों पर विचार करना चाहिए.

सद्गुरु शैलेंद्र सरस्वती ने साधकों को आत्म सम्मोहन की विधि करवाई और बताया कि आत्म सम्मोहन के जरिए आप किस तरह अपनी मनचाही इच्छा को पूरा कर सकते हैं.


शिविर के आखिर में लगभग 70 नए साधकों को माला दीक्षा दी गई.