साहित्य सरस्वती मंच, सरस्वती पुस्तकालय एवं वाचनालय के तत्वाधान में प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी,सांसद,विधायक, पत्रकार एवं साहित्यकार रहे स्व.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी की 117वीं जयंती पर उन्हें सभी साहित्य सुधीगण ने पुष्पांजलि अर्पित कर याद किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता के के सिलाकारी वरिष्ठ अधिवक्ता ने की। मुख्य अतिथि शुकदेव प्रसाद तिवारी रहे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ लोक गीतकार हरगोविंद विश्व एवं हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी रहे।
स्वागत भाषण संयोजक राधाकृष्ण व्यास अनुज ने पढ़ा। सरस्वती साहित्य मंच की साल भर की गतिविधियों की जानकारी डाॅ.नलिन निर्मल ने ब्यौरेवार प्रस्तुत की। इस अवसर पर हरगोविंद विश्व को शाल श्रीफल प्रदान कर उनका जन्म दिन भी मनाया गया।
मुख्य तिथि शुकदेव प्रसाद तिवारी ने कहा कि ज्योतिषी जी ईमानदार राजनैतिक थे, वे श्रेष्ठ आदर्श वादी साहित्यकार एवं राष्ट्रीय भावनाओं के कवि थे।उनके सानिध्य में जो समय बिताया उस पर अपनी बात रखी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए के के सिलाकारी ने कहा कि पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी हमारे साहित्यक एवं सामाजिक पुरखे हैं। उन्होंने ज्योतिषी जी से निकट संबंधों का जिक्र किया,उनके सहज स्वभाव एवं इमानदार व्यक्तित्व को उदाहरण सहित प्रस्तुत किया।
अतिथि आशीष ज्योतिषी ने ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डाला,उन्होंने कहा कि ज्योतिषी जी के हृदय में सागर बसता था।सागर शहर को आगे बढ़ाने में कैसे योगदान किया बताया।
सभी अतिथियों का शाल श्रीफल एवं पुष्प माला से सम्मान किया गया। इसके पश्चात होली पर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता हरगोविंद विश्व ने की तथा मुख्य आतिथि डाॅ.सीताराम श्रीवास्तव भावुक रहे। सरस्वती वंदना को पूरण सिंह राजपूत ने सुनाया। होली उत्सव पर कविताऐं सभी कवियों ने पढ़ी। आयोजित कवि सम्मेलन में वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.गजाधर सागर, टीकाराम त्रिपाठी,पी आर मलैया, कमल चंद जैन मास्टर साहब,ममता भूरिया, राजू चौबे,पुष्पेन्द्र दुबे कुमार सागर, मुकेश कुमार तिवारी,मास्टर निमिष रावत, पी आर मलैया,राजेन्द्र दुबे कलाकार, परमानन्द अहिरवार, के एल तिवारी अलबेला,देवीसिंह राजपूत, अरूण कुमार दुबे अरूण, वृंदावन राय सरल, मणिदेव ठाकुर आदि कवियो ने रंग अबीर गुलाल से सजी अपनी कविताऐं प्रस्तुत की वा उपस्थित श्रोताओं को हंसाया। कार्यक्रम में उपस्थित हुए लोगों का आभार पूरन सिंह राजपूत ने जताया।

