स्वामी विवेकानन्द विश्वविद्यालय सागर के सभागार भारतीय स्त्री शक्ति की प्रदेश उपाध्यक्ष, डाॅ0 प्रतिभा तिवारी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के महत्व और उसकी भूमिका को श्रद्धा के साथ स्वीकार किया गया है. “यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमयन्ते तत्र देवताः”
नारी समाज का आश्रय और शक्तिपूंज है. जब जब भी नारी को महत्व मिला तब तब वह प्रकट होती है – भारत का मान बढ़ाने रण में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, न्याय प्रिय प्रशासक अहिल्या बाई, अनन्य भक्त मीरा बाई, ब्रह्मवादिनी गार्गी, आदर्श माँ जीजा बाई, भगिनी निवेदिता और राष्ट्रभक्त लेखिका सुभद्रा कुमारी चैहान के रूप में. एक बालक को शिक्षित करने से एक व्यक्ति शिक्षित होता है तथा एक बालिका को शिक्षित करने से कई परिवार शिक्षित होते हैं. निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि अपने स्वरूप बोध से युक्त विवेकी बालिकायें जब अपने कर्तव्य निर्वहन में आनन्द का अनुभव करते हुए सदाचारी, शिष्ट आचरण करेगी तभी वह सुशील, सुधीरा, समर्था बन सकेगी.इसलिए आज की प्रत्येक बालिका को अपनी प्रज्ञा (मेधा) विकसित कर सरस्वती की आराधिका बनना है. वही अपने में लक्ष्मी अर्जन की क्षमता एवं उचित उपयोगिता की चेतना भी विकसित करनी है. इस सबसे बढ़कर विषाक्त समाज की कुदृष्टि से आत्मकथा के प्रयत्न में दुर्गा के साहस व शक्ति को भी अपने में संचालित करते हुए स्वाभिमान पूर्वक राष्ट्रहित में जीना है.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की डाॅ0 सुनीता दीक्षित, श्रीमती जाग्रती पटैरिया, कुमारी शिल्पी जैन, कुमारी प्रिया कश्यप, श्रीमती सरस्वती शर्मा, कु0 मोनिका शुक्ला, कु0 रोशनी बैन, कु0 राधा मांझी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया.कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ.