सागर विश्वविद्यालय एक नया अकादमिक ब्रम्हाण्ड -प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

“प्रकृति हमेशा नूतन कृतियों के कारण ही सदैव जीवन्त बनी रहती है. इस जीवन्तता को बनाये रखने के लिये सदियों में कुछ ऐसे व्यक्तित्व दुनिया में आते हैं, जो अपने कृतित्व से युगों-युगों तक याद रखे जाते हैं. सागर सपूत डॉ हरीसिंह गौर भी ऐसे ही बिरले लोगों में से एक हैं, जिन्होंने सागर विश्वविद्यालय की स्थापना करके एक नये अकादमिक ब्रम्हाण्ड की रचना की. ब्रम्हाण्ड जिसके हम सब वाशिंदे हैं. शिक्षा जगत के लोगों के लिए यह गौरव की बात है कि डॉक्टर गौर की नगरी और उनके ब्रम्हाण्ड में हमें अपने अस्तित्व को आधार देने का सौभाग्य मिला है. सागर विश्वविद्यालय हमारे अकादमिक जीवन का सृजन कर्ता है. विश्वविद्यालय ने अनेक आयाम स्थापित किये हैं. समाज को एक नयी ऊर्जा और गति दी है. राष्ट्रीय चेतना को जगाया है. हम सबको एक नया आकार दिया है. 

अपने आकार को आधार देने वाली मातृ संस्था के स्थापना दिवस पर हमारे लिये आज चिंतन-मनन और मूल्यांकन का अवसर है कि हम डॉक्टर गौर के दर्शन को पहचानने की कोशिश करें. उनके सपनों को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध बनें.”

जय हिंद, जय गौर, जय विश्वविद्यालय 

— दिवाकर सिंह राजपूत