श्री सिद्ध क्षेत्र बालाजी मंदिर प्रांगण, धर्म श्री अंबेडकर वार्ड में मुख्य यजमान श्रीमती अनुश्री शैलेन्द्र कुमार जैन एवं विधायक सागर शैलेन्द्र कुमार जैन द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिवस अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास परम पूज्य पं. श्री इन्द्रेश उपाध्याय जी महाराज ने भक्तिभाव से ओतप्रोत संदेश देते हुए कहा कि यदि मनुष्य के भीतर संग्रह की वृत्ति अधिक है तो समझना चाहिए कि ठाकुर जी उससे दूर हैं, और जब मन में अर्पण, दान एवं सेवा की भावना जागृत होने लगे तो यह संकेत है कि भगवान हमारे समीप आ रहे हैं।
उन्होंने कहा —
“ज्ञान जब पच जाता है तब व्यक्ति विवेकी और मौन हो जाता है। अधिक बोलना और अधिक खाना — दोनों ही आयु को घटाते हैं, इसलिए जीवन में संयम आवश्यक है।”
महाराज श्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि ठाकुर जी जब नन्द बाबा के घर आए तो नन्द बाबा ने सब कुछ लुटा दिया, क्योंकि जब जीवन में भगवान आते हैं तो लोभ, लाभ और मोह अपने आप छूट जाते हैं।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक मनुष्य रूप और वर्ण नहीं बल्कि विचारों और भावों को महत्व देता है। मनुष्य की वाणी व स्वभाव ही उसकी दिशा और दशा तय करते हैं। व्यक्ति जब कुछ बन जाता है तो सहजता खो देता है और यही पतन की शुरुआत होती है।
वृंदावन की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि उसे न तो ब्रह्मा जी ने बनाया और न ही विश्वकर्मा ने —
“वृंदावन को स्वयं किशोरी जी ने बनाया है।”
गोपाष्टमी और छप्पन भोग के प्रसंग को समझाते हुए उन्होंने कहा कि असली पालनहार इंद्र नहीं बल्कि स्वयं श्रीगोपाल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कथा से जुड़े। उन्होंने कहा —
“सनातन संस्कृति की जड़ें जितनी मजबूत होंगी, समाज और राष्ट्र उतना ही समृद्ध होगा।”
उन्होंने आयोजकों को सफल संचालन के लिए शुभकामनाएँ दीं।
विशेष : अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास पं. इन्द्रेश उपाध्याय जी — एक संक्षिप्त परिचय जन्म 7 अगस्त 1996, श्रीधाम वृंदावनपिता पूज्य श्री कृष्णचंद्र शास्त्री ठाकुर जी संस्था भक्तिपथ — संस्थापक
पं. श्री इन्द्रेश उपाध्याय जी देश-विदेश में प्रसिद्ध युवा आध्यात्मिक पुरुष हैं। मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने संपूर्ण श्रीमद्भागवत महापुराण का अध्ययन एवं कंठस्थ कर लिया। उनके प्रवचनों में ज्ञान, भक्ति, विनम्रता और दिव्य अनुभूति का अद्भुत संगम होता है।
उनकी संस्था भक्तिपथ सनातन धर्म की शिक्षाओं और ऋषियों-संतों के ज्ञान को विशेष रूप से युवाओं तक पहुँचा रही है।
कथास्थल पर उपस्थित भक्तों ने कहा —
“उनके भजनों और प्रवचन से वातावरण में दिव्य आनंद फैल जाता है, दुख और निराशा स्वतः दूर हो जाती है।”
सागर का सौभाग्य
लगभग 10 माह के अल्प अंतराल में सागरवासियों को पुनः पूज्य महाराज श्री का सान्निध्य प्राप्त हुआ है। भक्तजनों ने इस दिव्य आयोजन के लिए मुख्य यजमान श्रीमती अनुश्री जैन और विधायक श्री शैलेन्द्र कुमार जैन को साधुवाद दिया।
















