नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने आखिरकार उस रहस्य से पर्दा उठा दिया, जिसका बिजली बिल हर साल 25 लाख रुपये बनकर नगर निगम के सिरदर्द और कुछ खास इलाकों की ठंडी सांसों का इंतज़ाम बना हुआ था।
शहर में जहाँ एक तरफ़ जनता पानी के लिए टंकी की ओर देखती रही, वहीं दूसरी तरफ़ 15 ट्यूबवेल ऐसे भी थे जो ‘ज़रूरत से ज़्यादा ज़रूरतमंदों’ की सेवा में लगे हुए थे।निरीक्षण हुआ…
और पता चला कि
जहाँ पेयजल की भरपूर सप्लाई पहले से मौजूद है, वहाँ ट्यूबवेल अब भी बिजली पी रहे थे — वो भी निगम की ।
अब सवाल उठता है…
अगर पानी की ज़रूरत नहीं थी, तो ट्यूबवेल किसके लिए चल रहे थे? 🤔
✔ मंदिर परिसर
✔ कॉलोनियाँ
✔ चौराहे
✔ शादी गार्डन के सामने
✔ कुछ खास वार्ड
✔ और एक-दो ऐसे पते,
जहाँ पानी की कमी कभी महसूस ही नहीं हुई
बिजली कनेक्शन कटे, राज खुले ।
इन स्थानों के ट्यूबवेल के बिजली कनेक्शन अब काट दिए गए हैं —
जिससे नगर निगम को हर साल 25 लाख रुपये की सीधी बचत होगी। प्रकाश प्रभारी आशिमा तिर्की ने साफ कहा कि “जहाँ कनेक्शन काटे गए हैं, वहाँ पानी की कोई कमी नहीं है।”
मतलब साफ है —
बिल जनता भर रही थी, फायदा कोई और उठा रहा था।आयुक्त का सीधा संदेश
अब ऐसे और भी कनेक्शन खोजे जाएंगे, जो
👉 काग़ज़ों में ज़रूरी
👉 ज़मीन पर फालतू
और
👉 बिल में भारी
साबित हो रहे हैं।
अब ट्यूबवेल नहीं चलेंगे,
तो शायद
👉 कुछ लॉन सूखे दिखें
👉 कुछ टंकियाँ खाली हों
👉 और कुछ लोगों को पहली बार
“नगर निगम का पानी” याद आए।
लेकिन जनता खुश है, क्योंकि 25 लाख की ‘अदृश्य सेवा’ अब बंद हो चुकी है।
















