नगर निगम आयुक्त राजकुमार खत्री ने धनतेरस के दिन सुबह सुबह सपरिवार कटरा बाजार पहुंचकर स्थानीय व्यापरीयों से स्वदेशी दीपक, सजावट एवं पूजन सामग्री आदि उत्पाद ख़रीदे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवाहन पर आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान ‘वोकल फॉर लोकल’ और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए देशभर में कार्यक्रम आयोजित कर भारतीय नागरिकों और देशवासियों को स्वदेशी वस्तुओं की खरीदी बिक्री हेतु प्रोत्साहित व प्रेरित किया जा रहा है। इसी तारतम्य में निगमायुक्त श्री खत्री अपनी धर्मपत्नी एवं बच्चों सहित कटरा बाजार में दीपावली की खरीदी करने पहुँचे। उन्होंने कटरा में फुटपाथ पर दुकान लगाये स्थानीय महिला से मिट्टी के हस्तनिर्मित दीपक, माला आदि ख़रीदे।
बच्चों ने सुंदर रंगों से सजे मिट्टी के गुल्लक खरीदे। निगमायुक्त ने विभिन्न दुकानों पर पहुंचकर विक्रेताओं से संवाद भी किया और स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित भी किया। ताकि अधिक से अधिक देशवासी स्वदेशी वस्तुओं को खरीदकर देश को आर्थिक मजबूती प्रदान करने में सहयोगी बन सकें।
भारतीय संस्कृति में त्यौहार सांस्कृतिक और आर्थिक विकास में अद्वितीय भूमिका निभाते हैं: निगमायुक्त
निगमायुक्त राजकुमार खत्री ने कहा की भारतीय संस्कृति में त्यौहारों उत्सवों आदि का बड़ा महत्व है जहाँ एक ओर त्यौहार उत्सव रहवासियों में आपसी मेलमिलाप और अपनत्व को बढ़ाते हुए सांस्कृतिक विकास में अद्वितीय भूमिका निभाते हैं वहीं दूसरी ओर ये उत्सव व्यापारिक गतिविधियों को फलने फूलने का अवसर प्रदान कर आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण रूप से सहयोगी हैं। त्योहारों का समय निकट आते ही प्रत्येक छोटे से छोटे स्थानीय व्यापारियों के चेहरों पर उत्साह और सकारात्मक आसा की चमक दिखाई देने लगती है। मजदूरों कारीगरों की महीनों की मेहनत का परिणाम उनके उत्पाद की बिक्री के रूप में मिलता है। हमारे समाजिक तानेबाने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के तहत छोटे हस्तशिल्पियों, कारीगरों एवं उद्यमियों के रूप में नागरिकों के परिवार के परिवार युवा, पुरुष, महिलाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी कार्य करते हैं और स्थानीय उत्पादों के निर्माण, पैकिंग व बिक्री में सहयोग करते हैं। इन स्थानीय उत्पादों की बिक्री समाज के विभिन्न परिवारों की मेहनत को सफल बनाती है और कई परिवारों के भरण पोषण हेतु अर्थ जुटाने में महत्वपूर्ण है इससे ही व्यापारिक व आर्थिक गतिविधियों को बल मिलता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में विक्रेता व खरीददार दोनों है कोई वस्तुओं का निर्माण करता है तो कोई सेवाएं देता है। इस प्रकार बाजार में मुद्रा का रुटेशन चलता रहता है। स्वदेशी वस्तुओं की खरीदी बिक्री से देश का धन देश में ही रहेगा और देश की बेहतर आर्थिक मजबूती सुनिश्चित होगी।
“त्योहारों के दौरान कटरा का अनूठा बाजार किसी मेले से कम नही, यहां स्वदेशी अपनाने से स्थानीय संस्कृति एवं कला को बढ़ावा मिलेगा”
उन्होंने कहा की प्रदेश में पहली बार हर जिले में स्वदेशी मेलों का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में हमारे शहर का कटरा बाजार किसी मेले से कम नहीं है त्योहारों के दौरान तो हमेशा ही यहां का नजारा अद्भुत होता है। हस्तशिल्पियों, कारीगरों एवं उद्यमियों को त्योहारों से ठीक पहले व त्योहारों के दौरान उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने व बिक्री का एक बड़ा मंच है। कटरा बाजार सागर में थोक, फुटकर, रेहड़ी, फुटपाथ विक्रेताओं का अनूठा बाजार है यहां आने जाने वाले सभी वर्गों को सहूलियत हो इसके लिए सभी दुकानदारों को रोड पर मार्क पीली लाईन के अंदर व्यवस्थित दुकान लगाने हेतु प्रोत्साहित किया गया है। यहां सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के उत्पाद, खादी एवं ग्रामोद्योग, माटी कला बोर्ड, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग, रेशम, ग्रामीण आजीविका मिशन आदि के उत्पादों को हस्तशिल्पियों, कारीगरों एवं उद्यमियों द्वारा बिक्री हेतु प्रदर्शित किया जाता है। उन्होंने कहा की ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल आत्मनिर्भर भारत संकल्प अभियान के तहत कटरा के व्यापारियों द्वारा स्वदेशी उत्पादों की बिक्री की जाएं व नागरिकों द्वारा स्वदेशी को अपनाने से स्थानीय संस्कृति एवं कला को बढ़ावा मिलेगा।
“नागरिक स्वदेशी उत्पाद अपनाकर भारत को सशक्त राष्ट्र बनाने में अपना योगदान अवश्य दें : निगमायुक्त”
उन्होंने नगरवासियों से अपील करते हुए कहा की इस दिवाली वे अपने घरों के दीपक, सजावट सामग्री, परिधान और उपहार आदि सामग्री स्वदेशी ही लें ताकि हमारे शहर के कारीगरों, मिट्टी कला कलाकारों, बुनकरों और युवाओं के चेहरों पर खुशियों की रोशनी जगमगाए। उन्होंने कहा कि यही सच्चे अर्थों में “मेक इन इंडिया” और “वोकल फॉर लोकल” की भावना को साकार करने का मार्ग है, जिससे न केवल प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना भी साकार रूप लेगी। हमारा यह छोटा सा प्रयास केवल आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक स्वाभिमान को परिष्कृत करेगा। स्थानीय उद्योगों, कारीगरों और संसाधनों को प्राथमिकता देकर हम हर घर स्वदेशी का मंत्र अपनाकर भारत को सशक्त राष्ट्र बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान अवश्य दें।
















