विधायक शैलेंद्र कुमार जैन के निवास पर आज भव्य सामूहिक क्षमापना समारोह का आयोजन हुआ। यह पावन आयोजन परम पूज्य मुनि श्री 108 विमल सागर जी महाराज, परम पूज्य मुनि श्री 108 अनंत सागर जी महाराज एवं परम पूज्य आर्यिका विजिज्ञासा श्री माताजी के संसंघ के मंगल सानिध्य में संपन्न हुआ।
समारोह की शुरुआत में पूज्य मुनि श्री एवं पूज्य माता जी की मंगल आगवानी विधायक शैलेंद्र कुमार जैन एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनुश्री जैन ने की। तत्पश्चात् उन्होंने पूज्य मुनि संघ एवं आर्यिका माता जी का का पाद प्रक्षालन कर शास्त्र भेंट किए ।
विधायक शैलेंद्र कुमार जैन ने अपने निवास पर आयोजित सामूहिक क्षमापना समारोह में सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए एवं धर्मसभा को संबोधित किया ।
“यह मेरा सौभाग्य है कि पिछले 16 वर्षों से मुझे क्षमावाणी कार्यक्रम आयोजित करने का अवसर मिल रहा है। परंतु आज जैसा अद्वितीय और आत्मिक क्षमावाणी कार्यक्रम इससे पहले कभी नहीं हुआ। मैंने बड़े संकोच के साथ पूज्य मुनि श्री से आग्रह किया था और उनके आशीर्वाद से ही आज यह संभव हुआ है।”
विधायक जैन ने पूज्य आर्यिका श्री माताजी के प्रवचन का समर्थन करते हुए कहा कि यदि हम पूज्य मुनि श्री और पूज्य माताजी के उपदेशों और भावों को आत्मसात नहीं कर पाए, तो केवल भक्ति, पाद प्रक्षालन या अनुष्ठान से हमें वास्तविक पुण्य प्राप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा – “पुण्य तभी मिलेगा जब हम उनके बताए मार्ग का अनुशरण करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि यह दशलक्षण पर्व वास्तव में हमारी परीक्षा है। समाज में आज जिस प्रकार की परिस्थितियाँ निर्मित हो रही हैं, वैसा माहौल पूर्व में कभी नहीं रहा। सागर को हमेशा से शांति का टापू कहा जाता है और मेरा प्रयास है कि एक जनप्रतिनिधि के नाते मुझ तक आने वाले हर विषय का समाधान पूरी निष्ठा और प्राण-प्रण से किया जाए।।
परम पूज्य मुनि श्री 108 विमल सागर जी महाराज ने क्षमावाणी महापर्व पर मंगल प्रवचन देते हुए कहा –
“जब विधायक शैलेंद्र कुमार जैन हमारे पास आए और उन्होंने निवेदन किया कि पिछले 16 वर्षों से वे क्षमावाणी कार्यक्रम विभिन्न स्थानों पर आयोजित कर रहे हैं, परंतु इस बार इसे निज निवास परिसर में करना चाहते हैं, तो मैं उन्हें कैसे मना कर सकता था। ये नगर के मुखिया हैं और नगर के कल्याण के लिए इस पावन कार्य का आयोजन कर रहे हैं। ऐसे समय में जब सागर में विपरीत परिस्थिति है चातुर्मास करने का अवसर आया और हमने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
उन्होंने कहा कि सागर नगर का महत्व भी अद्वितीय है – यहाँ खारा जल भी क्षीर सागर बन जाता है, जिसका जल लाकर जन्मोत्सव मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि क्षमा धर्म कायरों का नहीं, बल्कि वीरों का आभूषण है।
पर्यूषण पर्व की शुरुआत क्षमा से होती है और उसका समापन भी क्षमा से ही होता है,यदि धर्म से जुड़ना है, तो पहले हाथ जोड़ना सीखो, जिस व्यक्ति के जीवन में क्षमा भाव आ जाता है, वह शीघ्र ही धर्म पथ पर अग्रसर हो जाता है।”आयोजक को अनेक योजनाएँ बनानी पड़ती हैं, और यदि उसके भीतर क्षमा भाव हो तो वह निश्चय ही सफल होता है। स्वार्थियों की विनय और मार्दव की विनय में बड़ा अंतर है – स्वार्थी व्यक्ति छिपकर चलता है, जबकि महाजन सीना चौड़ा करके आगे बढ़ता है।
विचारों की पवित्रता अत्यंत आवश्यक है। 63 का अंक गले लगाने की छवि देता है, जबकि 36 का अंक अलगाव का प्रतीक है। वास्तविक क्षमा तभी संभव होगी जब यह ‘सागर’ वास्तव में ‘क्षीर सागर’ बन जाएगा। जब हम सब आपसी सामंजस्य और मेल-जोल का भाव रखेंगे तो समाज की सारी समस्याएँ अपने आप समाप्त हो जाएँगी।”
मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज का मंगल प्रवचन
परम पूज्य मुनि श्री 108 अनंत सागर जी महाराज ने क्षमावाणी महापर्व पर अपने मंगल प्रवचन में कहा –
“हमें जीवन में ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए जिनसे क्षमा माँगने की आवश्यकता पड़े। यदि हम उन कारणों को अपने जीवन से दूर कर देंगे जो क्षमा की स्थिति उत्पन्न करते हैं, तो सफलता स्वयं हमारे चरण चूमेगी।
क्षमा वीरों का कार्य है। चाहे गृहस्थ हों या साधु, यदि कोई गलती हो जाए तो प्रातः अपने कर्मों की क्षमा अवश्य माँगनी चाहिए। क्षमा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि हृदय से उत्पन्न भाव है। इसके लिए अहंकार का त्याग करना आवश्यक है और दूसरों को भी क्षमा करना चाहिए।
पूज्या विजिज्ञासा श्री माताजी ने क्षमावाणी महापर्व पर अपने मंगल प्रवचन में कहा –
“दिव्य आत्मा को देखकर क्षमा को स्वीकार करना वीरों का काम है। जहां श्रद्धा और आदर का भाव होता है, वहाँ बिना गलती किए भी क्षमा भाव अपने आप प्रकट हो जाते हैं।
यह पुण्य कार्य शैलेन्द्र भैया ने किया है, जिन्होंने पूरे समाज को एक मंच पर लाने का प्रयास किया है। मुनि श्री का वात्सल्य भाव इतना व्यापक है कि आज सभी साधु एक ही मंच पर विराजमान हैं। जब साधु-साधु आपस में इतना वात्सल्य रख सकते हैं तो आप सभी क्यों नहीं रख सकते ?
हर श्रद्धालु और हर देशवासी से कहना चाहूँगी कि जब साधु तो एक हैं, तो आप समाज जन अनेकता का परिचय क्यों देते हैं? जब एक ही समाज के लोग चौराहों पर झगड़ते हैं तो वह दृश्य हास्यास्पद बन जाता है।
आज मुनि श्री के चरणों में क्षमा भाव धारण करके यह संकल्प लें कि आपसी वैमनस्यता समाप्त करेंगे और ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे समाज को क्षति पहुँचे।”
इस अवसर पर मुख्य रूप से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ताराचंद जैन,पूर्व विधायक श्रीमती सुधा जैन,पूर्व विधायक सुनील जैन,श्रीमती निधि जैन,निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार,मनोज जैन,आनंद जैन,संतोष घड़ी, अरविन्द जैन जिला शिक्षा अधिकारी,डा शक्ति जैन कुलसचिव,राजा भैया,सुनील पटना,मुकेश ढाना,देवेंद्र जैना,दिलीप मलैया,इंद्र कुमार नायक,सुरेंद्र जैन मालथोन,मुन्ना लंबरदार,अजित जैन नीटू,प्रियेश जैन,अशर्फीलाल जैन,मुकेश जैन,दिनेश बिलहरा,सुनील जैन छाया,अनिल लंबरदार,सपन जैन,सुनील जैन बालक कॉम्प्लेक्स,वीरेंद्र जैन मालथौन, तरूण कोयला,दिनेश जैन ऑटो पार्ट्स,प्रकाश जैन , श्रीमती आशारानी जैन, श्रीमती रानी पराग बजाज,श्रीमती शकुंलता जैन,कमल जैन,अनिल चंदेरिया,डा राहुल जैन,श्रीकांत जैन,प्रासुख जैन,अमित बैसाखिया,राजकुमार हरचंद,अभिषेक जैन,समीर जैन नमन समैया,सौरभ उपकार,महेंद्र जैन, अशोक जैन वर्धमान,डा अमिताभ जैन,डा अरुण सराफ, डा अभिषेक जैन,नीलेश जैन,सचिन जैन,अरुण सिंघई,डा वी के सोधिया,सुदीप जैन,राजेंद्र सुमन पंडित जी, दीप्ति चंदेरिया,नितिन जैन तिलकगंज, सिंथिल पड़ेले,दीपेश जैन,हर्ष सराफ,सोनू जैन,भोलू जैन,प्रदीप रांधेलिया,प्रशांत जैन,संगीता शैलेश जैन,आदित्य जैन लाल दुकान,अमरचंद जैन,राजेश पटना,राकेश बजाज,विनीत जैन गैस सहित अन्य लोग मौजूद थे।
















