सागर : ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा जन्माष्टमी पर्व की धूम

ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय भीतर बाजार सागर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व बड़े ही उमंग उत्साह के साथ मनाया गया ।

ब्रह्माकुमारी छाया दीदी जी ने बताया कि अब निकट भविष्य में पुनः श्री कृष्ण का राज्य आने वाला है कुछ ही समय पश्चात यह भारत स्वर्ग बनने जा रहा है और श्री कृष्ण का जन्म होने वाला है क्योंकि शास्त्रों में बताया भी जाता है कि श्री कृष्ण का जन्म जब घनघोर बारिश हो रही थी कलयुगी अंधेरी रात थी और पीपल के पत्ते पर तैरते हुए श्री कृष्णा आ रहे हैं….. इसका आध्यात्मिक रहस्य है कि इस संसार रूपी वृक्ष का प्रथम पत्ता अथवा प्रथम राजकुमार श्री कृष्ण ही बनते हैं और वही इस सतयुगी सृष्टि भारत देश के महाराजा बनते हैं और भारत में फिर पुनः देवी-देवताओं का साम्राज्य स्थापित होता है तो अब निकट भविष्य में श्री कृष्ण राधे का ही राज्य आने वाला है यह परमात्मा शिव भगवान का गुप्त कार्य है जो चल रहा है. इसीलिए कहा भी जाता है कि जेल में अथार्त घोर कलयुग रूपी रात्रि में सभी द्वारपाल सो गए थे अर्थात सभी अज्ञान नींद में सोए हुए होंगे और कृष्ण का जन्म होता है.

माना प्रकार इस कलयुगी संसार में श्री कृष्ण का जन्म कब होता है कोई मनुष्य समझ नहीं पाते हैं और गुप्त रीति वह बड़े होकर अपनी द्वारिका की स्थापना करते हैं जो बिल्कुल ही गुप्त रीती से होता है शास्त्रों में भी यही बताया गया है.

कार्यक्रम ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी दीदी ने भी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि श्री कृष्ण और राधा ही स्वयंवर के बाद श्री लक्ष्मी व श्री नारायण का पद प्राप्त करते हैं और इस संसार में विश्व महाराजा व विश्व महारानी बनकर सतयुगी राज्य कारोबार चलाते हैं इसीलिए आप देखेंगे कि मंदिरों में हमेशा श्री कृष्ण का बाल रूप दिखाते हैं लेकिन श्री लक्ष्मी व श्री नारायण का कभी बालरूप नहीं दिखाया जाता उन्हें हमेशा बड़े रूप में ही दिखाया जाता है यही मुख्य बात है कि श्री कृष्ण राधे ही स्वयंवर के बाद उनके नाम परिवर्तित होकर श्री लक्ष्मी और श्री नारायण रखा जाता है.

गुप्तेश्वर परमात्मा शिव बाबा ने स्वर्ग की स्थापना का कार्य गुप्त रीति पूरा कर चुके हैं और निकट भविष्य में पुनः सतयुगी दुनिया आ रही है भारत पुनः सोने की चिड़िया बनने जा रहा है इस शुभ पावन पर्व की आप सभी को कोटि-कोटि शुभ बधाई हो.

अतःआप सभी भी परमात्मा शिव बाबा द्वारा रचे हुए इस अविनाशी रूद्र गीता यज्ञ में अपनी बुराइयों को स्वाहा करें और संपूर्ण पवित्रता को धारण करें तभी आप उस स्वर्गीक दुनिया में जा सकते हैं. इसी पवित्रता का यादगार आप देखेंगे श्री कृष्ण के सिर पर मोर मुकुट दिखाया जाता है जो पवित्रता का प्रतीक है हमारे देश में मोर को राष्ट्रीय पक्षी माना जाता है.

नन्हें बालक श्री कृष्ण को झूले में झुलाया गया और श्री कृष्ण की झूला आरती की गई,एवं श्रीकृष्ण जी के गीतों पर सभी ने रास किया।

श्री कृष्ण एवं निराकार शिव भगवान को भोग स्वीकार कराया गया एवं सभी को फलाहारी एवं प्रसाद दिया गया.

इस आयोजन में सभी भाई बहन बड़ी खुशी से सम्मिलित हुए।