बिहार ने क्या खोया, क्या पाया?

पिछले पाँच वर्षों में बिहार में NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की सरकार ने नीतिगत दृष्टि से कई महत्वाकांक्षी कदम उठाए हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी बढ़ीं हैं। चुनाव के समीप आते ही यह विश्लेषण समझने लायक है कि जनता के लिए इस शासन-काल की असल तस्वीर क्या रही, और अगले कार्यकाल में सरकार को किन मुद्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

1. क्या पाया — उपलब्धियाँ, सकारात्मक पहलू और आर्थिक विकास.

बिहार की अर्थव्यवस्था में तेज़ी आई है। बिहार की आर्थिक सर्वे (2024–25) के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य की वास्तविक GDP वृद्धि लगभग 9.2% थी।

यह संकेत है कि बिहार की अर्थव्यवस्था बेहद निम्न आधार (low base) से उभर रही है, और विकास की गति अधिक है। (बेशक, उच्च वृद्धि का अर्थ है अवसर, लेकिन स्थिरता बनाए रखना बड़ी चुनौती है।)

◾️बिजली-उपयोग और सब्सिडी.

सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा सब्सिडी-भरोसा दिया है: 2024-25 में बिजली उपभोक्ताओं पर लगभग 15,343 करोड़ रुपये का सब्सिडी बोझ था।

चुनावी घोषणा के तौर पर, नीतीश कुमार ने 1.67 करोड़ घरेलू परिवारों को हर महीने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है, जो अगस्त 2025 से लागू होगी।

◾️ऊर्जा विभाग ने सोलर ऊर्जा पर जोर बढ़ाया.

सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लगाना, बैटरी स्टोरेज सिटिंग आदि की योजना है।

यह नीतिगत मुफ्त बिजली + सोलर पहल सामाजिक-लोककल्याण की दिशा में बड़ा कदम माना जा सकता है।

◾️ग्रामीण बुनियादी ढांचा.

पीएमजीएसवाई (Grameen सड़क निर्माण) जैसे कार्यक्रमों से ग्रामीण कनेक्टिविटी और सड़क बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है (हालांकि पूरा आंकड़ा सार्वजनिक दस्तावेजों में बारीकी से नहीं मिला — लेकिन ग्रामीण विकास विभाग सक्रिय रहा है)।

बुनियादी सेवाओं तक पहुंच बेहतर करने की दिशा में प्रयास किए गए हैं, जिससे ग्रामीण आबादी को विकास-मौकों का लाभ मिल सके।

2. क्या खोया — समस्याएँ, कमियां और चिंताएँ

◾️ कानून-व्यवस्था और अपराध

एक बेहद चिंताजनक प्रवृत्ति यह है कि 2015 से 2024 के बीच बिहार में अपराधों की संख्या लगभग 80% बढ़ी है।

भारतीय एक्सप्रेस के विश्लेषण में बताया गया है कि हत्या (मर्डर), प्रयास हत्या (attempted murder) जैसी गंभीर घटनाएँ बढ़ी हैं, और कुछ रिपोर्टों के अनुसार बिहार में हिंसक अपराधों की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रही है।

◾️आर्म्स एक्ट उल्लंघन (illegal arms) की घटनाओं में भी बढ़ोतरी.

इस प्रकार, “सुशासन बाबू” (नीतीश कुमार) की छवि और “जंगल राज खत्म हो गया” वाला कथन सचमुच चुनौती में है — कम से कम अपराध के आंकड़ों की दृष्टि से। इस चूक को विपक्ष ने लगातार मुद्दा बनाया है, और सामाजिक भरोसे पर सवाल उठे हैं।

◾️सब्सिडी बोझ और वित्तीय दीर्घकालीन स्थिरता.

मुफ्त बिजली और भारी सब्सिडी का बोझ राज्य खजाने पर बड़ा दबाव डाल सकता है। राज्य सरकार ने पहले ही सब्सिडी के लिए बड़े बजट आबंटित किए हैं।

दीर्घकालीन दृष्टि से, यदि बिजली सब्सिडी की नीति सही तरह से नियंत्रित न हो, तो यह वित्तीय अस्थिरता, राजकोषीय घाटे या उधारी में वृद्धि का कारण बन सकती है।

◾️ बुनियादी सेवाओं की असंतुलित पहुंच.

विकास के दावों के बावजूद, बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर सुधार अभी भी पुरानी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। (अधिक विशिष्ट आँकड़े सीमित स्रोतों में उपलब्ध हैं, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि आर्थिक वृद्धि को सामाजिक विकास में उतनी तेजी से ट्रांसलेट नहीं किया गया है।)

डिजिटल डिवाइड, ग्रामीण-शहरी असमानताएँ और अवसंरचनात्मक कमी (पानी, स्वच्छता आदि) अभी भी बहुत प्रासंगिक मुद्दे हैं, जिन्हें पूरी तरह हल नहीं किया गया।

3. अब तक कितना बाकी रह गया — अधूरे सपने और अनसुलझे मुद्दे

मानव विकास सूचकांक (HDI), शिक्षा-स्वास्थ्य सुधार अभी भी असंतुलित है। आर्थिक विकास भले तेज हो रहा हो, लेकिन हर नागरिक उसे समान रूप से महसूस नहीं कर पा रहा है।

◾️रोजगार सृजन (jobs): बिहार की आबादी में युवाओं का प्रतिशत बहुत अधिक है। सिर्फ GDP वृद्धि ही काफी नहीं — उन्हें स्थिर, गुणवत्तापूर्ण रोजगार देना एक बड़ा चैलेंज है।

राजकोषीय स्थिरता: दीर्घकालीन सब्सिडी नीति और बढ़ते खर्च को संतुलित करना होगा — एजेंडा में लोकप्रियता तो हो सकती है, लेकिन वित्तीय संतुलन के लिए यह बोझ एक बड़ा जोखिम बन सकता है।

◾️लोक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था.

अपराध की बढ़ती दर यह बताती है कि सुधार की दिशा में बहुत कुछ और किया जाना चाहिए। पुलिस-प्रशासन में सुधार, न्याय व्यवस्था को मजबूत करना, हथियार नियंत्रण और स्थानीय निगरानी बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा।

◾️पर्यावरण और स्वच्छ ऊर्जा.

सोलर ऊर्जा पहल सकारात्मक है, लेकिन इसे बड़े पैमाने पर लागू करने और वितरण नेटवर्क को मजबूत करने की ज़रूरत है। इसके साथ ही, पेयजल, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में और काम करना होगा।

4. आगे क्या कर सकती है NDA सरकार — रणनीतिक सुझाव

यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं कि अगले कार्यकाल में NDA सरकार बिहार में अपने एजेंडे को और अधिक मजबूत और समेकित कैसे बना सकती है, ताकि विकास अधिक समावेशी और टिकाऊ हो:

सब्सिडी का लक्ष्य-संवाद

मुफ्त बिजली योजना को अब “विकास-मंत्र” के बजाय “जनकल्याण-उपाय” बनाना होगा। सब्सिडी देने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह आर्थिक बोझ राज्य अर्थव्यवस्था को अस्थिर न कर दे।

टियर-बेस्ड सब्सिडी मॉडल पर विचार किया जाए, जहाँ ज़रूरतमंद (बीपीएल, किसान, कम-आय वाले परिवार) को अधिक लाभ मिले और समृद्ध वर्ग पर बोझ कम हो।

◾️न्याय और कानून-व्यवस्था सुधार.

पुलिस और कानून के संसाधन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए: आधुनिक फोरेंसिक लैब, साइबर अपराध इकाइयाँ, हथियार नियंत्रण नीति और स्थानीय निगरानी समितियाँ।

◾️अपराध रोकने के लिए सामाजिक हस्तक्षेप युवाओं के लिए रोजगार + शिक्षा + कौशल विकास कार्यक्रम, ताकि असामाजिक गतिविधियों की ओर पलायन कम हो।

◾️न्याय तंत्र में सुधार.

अदालतों की संख्या बढ़ाना, निचले स्तर पर न्याय पहुंचाना और वैकल्पिक विवाद निपटान (ADR) तंत्र को मजबूत करना।

◾️मानव विकास पर निवेश.

शिक्षा: प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में निवेश बढ़ाना, गुणवत्तापूर्ण स्कूल और शिक्षक प्रशिक्षण प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।

स्वास्थ्य: ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों को बेहतर बनाना, मातृ-शिशु स्वास्थ्य पर फोकस, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा + पोषण कार्यक्रम।

युवा रोजगार: कौशल विकास, स्टार्टअप समर्थन, व्यवसाय प्रशिक्षण, और औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देना ताकि युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले।

◾️हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचा.

सोलर पैनल वितरण कार्यक्रम को तेज़ करना और ग्रामीण इलाकों में बैटरी स्टोरेज, स्मार्ट मीटरिंग जैसे तकनीकी समाधानों को लागू करना।

जल प्रबंधन: बिहार में बाढ़ और जल संकट दोनों हैं। बेहतर नहर प्रणाली, वर्षा जल संचयन और नदी पुनरुद्धार योजनाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए।

सड़कों और ट्रांसपोर्ट: ग्रामीण सड़कों, संपर्क सड़कें (connectivity), सार्वजनिक परिवहन (बस नेटवर्क, ग्रामीण परिवहन) पर नए निवेश बढ़ाना जरूरी है।

◾️पारदर्शिता और जवाबदेही.

बजट और सब्सिडी खर्च पर सार्वजनिक रिपोर्टिंग बढ़ाना चाहिए ताकि जनता जान सके कि धन कहाँ खर्च हो रहा है।

स्थानीय सरकार (पंचायती राज, नगर निकाय) को अधिक सशक्त बनाना: विकास निर्णयों में जनता की भागीदारी बढ़ाना, निगरानी समितियों की स्थापना।

डिजिटल शासन: ई-गवर्नेंस, मोबाइल ऐप्स और ओपन डेटा पोर्टल के जरिए नागरिकों को सरकारी योजनाओं, खर्च और प्रगति की जानकारी देना चाहिए।

पिछले पाँच सालों में बिहार की NDA सरकार ने उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति की है: तेज GDP वृद्धि, सब्सिडी-नीतियाँ और ग्रामीण बुनियादी ढांचा सुधार प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। लेकिन कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, सब्सिडी-भारी नीतियों का वित्तीय दबाव और सामाजिक विकास में अधूरे पऱिसर अभी भी बड़ी चुनौतियाँ बने हुए हैं।

अगर अगली सरकार (चाहे वही NDA बनी रहे या कोई गठबंधन) इन मुद्दों पर संतुलित और दीर्घकालीन दृष्टि अपनाए, तो बिहार न सिर्फ विकास के नए मुकाम तक पहुँच सकता है, बल्कि उसे सतत, समावेशी और सुरक्षित राज्य के रूप में मजबूत नींव पर खड़ा किया जा सकता है।