धनतेरस पर योग से जगाइए “भीतर का धन” — योगाचार्य भगत सिंह
सागर। श्री राम स्नेही जन समिति सागर के तत्वाधान में मेगा सिटी स्थित करुणा निधि मंदिर परिसर के पार्क में विशेष निःशुल्क इंटीग्रेटेड योग शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में पतंजलि योग समिति के राज्य प्रभारी योगाचार्य भगत सिंह ने उपस्थित साधकों को धनत्रयोदशी (धनतेरस) पर्व का योगिक और वैज्ञानिक महत्व बताया।
योगाचार्य ने कहा कि धनतेरस केवल सोने-चाँदी की खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि धन्वंतरि देव — आयुर्वेद के अधिष्ठाता देवता — की आराधना का पवित्र अवसर है। योग और आयुर्वेद दोनों का उद्देश्य एक ही है — आरोग्य, आयुष्य और आनंद। यह दिन योग साधकों के लिए विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है।
🕉️ धन का योगिक अर्थ — ओज, तेज और सद्गुण
योगाचार्य भगत सिंह ने कहा कि योग दर्शन में धन का अर्थ केवल संपत्ति नहीं, बल्कि “शक्ति, ओज, तेज, प्राण और सद्गुण” से है।
धनतेरस पर किया गया योग साधन शरीर के भीतर छिपे इस आध्यात्मिक धन को जागृत करने का माध्यम बनता है। उन्होंने कहा —
“धन्वंतरि साधना का योगिक अर्थ यह है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। योग की दृष्टि से यह अमृत हमारे भीतर का प्राण-रस है, जो साधना से प्रवाहित होता है।”
🌞 सूर्योपासना, प्राणायाम और ध्यान से ‘अमृतत्व’ का अनुभव
शिविर में सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और उज्जायी प्राणायाम का अभ्यास कराया गया। योगाचार्य ने कहा कि
“जब साधक मौन, ध्यान और प्राणायाम से भीतर उतरता है तो वही ‘अमृतत्व’ का अनुभव करता है।”
उन्होंने बताया कि धनतेरस आत्मचिंतन और अंतःशुद्धि का पर्व है —
“धनं शुद्धं च चेतसा” अर्थात मन, प्राण और शरीर की शुद्धि से ही दिव्यता का संचार होता है।
🔬 वैज्ञानिक पक्ष — योग से बढ़ती है इम्यूनिटी और मानसिक स्थिरता
योगाचार्य ने वैज्ञानिक दृष्टि से बताया कि धनतेरस शरद ऋतु के अंत और हेमंत ऋतु की शुरुआत में आता है, जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
योग-प्राणायाम से एंडोक्राइन ग्लैंड्स सक्रिय होती हैं, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, और ध्यान से डोपामिन व सेरोटोनिन का स्राव होता है — जिससे आनंद, संतोष और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
उन्होंने कहा कि दीप प्रज्वलन और हवन की क्रिया से वातावरण में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल प्रभाव उत्पन्न होता है, जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है और सुरक्षा का भाव जागता है।
🪔 धनतेरस पर साधकों का संकल्प — “मैं अपने भीतर के धन को जाग्रत करता हूँ”
शिविर में साधकों ने सामूहिक रूप से धन्वंतरि बीज मंत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये” का जप किया और ध्यान में आत्मसाधना का संकल्प लिया —
“मैं अपने भीतर के स्वास्थ्य, प्राण और धन को जाग्रत करता हूँ।”
सत्र के अंत में सूर्य नमस्कार के 12 आवर्तन कर साधकों ने जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और कृतज्ञता का भाव आत्मसात किया।
💬 योगाचार्य भगत सिंह का संदेश
“धनतेरस का सच्चा अर्थ भीतर की शांति, आरोग्य और संतोष में है।
योग और ध्यान से जागृत यह ‘आंतरिक धन’ ही जीवन का असली दीप है।”
📍 कार्यक्रम में उपस्थिति
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में योग साधक, स्थानीय नागरिक, पतंजलि योग समिति के पदाधिकारी एवं श्री राम स्नेही जन समिति के सदस्य उपस्थित रहे।
डॉ वी के शर्मा, अजय खरे, गीता खरे प्रो जनक दुलारी आही, डॉ रंजना पुतांबेकर, इंजी आर डी तिवारी, श्री मति रजनी लता तिवारी, एस के कटारे, विशाखा असाटी, मुकेश लता खरे, उषा रावत, आंनद मिश्रा सहित अनेक भाई बहिन उपस्थित थे।












