वर्णी भवन मोराजी में श्रद्धा का संगम

पट्टाचार्य विशुद्ध सागर महाराज के 54 वें अवतरण दिवस और आचार्य श्री विशद सागर महाराज के 33 वां ऐलक दीक्षा दिवस वर्णी भवन मोराजी में मनाया गया.

तीन दशक बाद आचार्य श्री के वर्णी भवन मोराजी में आगमन पर पाद प्रच्छालन और शास्त्र भेंट किए गए. आचार्य श्री ने कहा कि बच्चों के जन्मदिवस के साथ बड़े बुर्जुगों के भी जन्म दिवस पर मोमबत्तियां जलाकर बुझाई जाती हैं. जितने साल के हो जाते हैं उतनी मोमबत्तियां जलाकर बुझाने का अर्थ बताते हुए कहा कि कोई 70 का हो गया तो कोई 80 साल का हो गया. मुनिश्री विशाल सागर महाराज ने कहा कि सागर में घर भले ही छोटे हों दैनिक जीवन चर्या सात्विक हो, दिखावा न हो लेकिन जिनालय उच्च कोठी के बने हैं. भाग्योदय तीर्थ मंगलगिरी जिनालयों में बड़ चढक़र दान देकर अपनी अद्भुत भक्ति एवं समता का परिचय दिया है. मुनिश्री अनुपम सागर महाराज ने कहा कि मंगलगिरी प्राकृतिक वातावरण में आत्मध्यान साधना के लिए उत्तम तीर्थ है. मुनिश्री सुकुशल सागर महाराज ने कहा कि गुरु को मनाने में नहीं अपितु गुरु की बात सुनकर उसे जीवन में उतारने से कल्याण होगा. मोराजी कमेटी की ओर से मुनि संघ को श्रीफल भेंट किए ।