नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान ने जब आम जनता की गलियों से निकलकर “मोतीनगर” के प्रभावशाली पते तक दस्तक दी — तो सन्नाटा तोड़ते हुए कांग्रेस का सड़कों पर उतरा “जागरूकता अभियान” दिखा।
जो नेता अब तक आंदोलनों में गुमनाम दर्शक बने रहते थे, वो अब निगम की कार्रवाई से आग-बबूला होकर अपने “दरवाज़े बचाओ” मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में दिखे।
जिला शहर कांग्रेस कमेटी के तत्वाधान में शहर अध्यक्ष महेश जाटव के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने मोतीनगर चौराहे पर कवि पद्माकर सभागार पहुंचकर नगर निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया कि निगम अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में भेदभाव कर रहा है और “100 साल पुराने घरों” तक को तोड़ा जा रहा है — जैसे कि निगम इतिहास मिटाने निकला हो।
महेश जाटव ने कहा, “निगम बिना विश्वास में लिए अंधाधुंध कार्रवाई कर रहा है, जिससे दहशत फैल रही है। जब सड़क पहले ही बन चुकी है तो उसे दोबारा चौड़ा करने की क्या मजबूरी है?”
जाटव के मुताबिक, यह “सुधार” नहीं बल्कि भ्रष्टाचार को विस्तार देने की कवायद है।
पूर्व ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष और मोतीनगर क्षेत्र स्थित बड़े बंग्ला निवासी स्वदेश जैन (गुड्डू भैया) ने निगम कमिश्नर को सलाह दी कि “संवाद” से ही शहर सुधरेगा — बुलडोज़र से नहीं।
वहीं पूर्व विधायक सुनील जैन ने कहा कि कांग्रेस के ज्ञापन को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
“वोट चोर, गद्दी छोड़” अभियान के प्रभारी जितेंद्र जैन क्रांतिकारी ने दावा किया कि जनता अब “जाग गई है” — हालांकि सवाल ये है कि जागरण निगम की कार्रवाई से पहले क्यों नहीं हुआ।
मोतीनगर की गलियों में चर्चा है कि जब तक निगम का बुलडोज़र गुमनाम बस्तियों तक सीमित था, सब ठीक था; लेकिन जैसे ही ‘बड़े घरों की दीवारें’ हिलीं, आंदोलन की चिंगारी फूट पड़ी।
अब देखना यह है कि कांग्रेस का यह “जनहित आंदोलन” सच में जन के लिए है या अपने जन के लिए।
















