“असतो मा सद्गमय: डॉ. गौर के आदर्शों से नई पीढ़ी को प्रेरणा”

स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सिरोजा, सागर (म0प्र0) में दिनाँक 26/11/2025 दिन बुधवार को बड़े ही हर्ष के साथ डाॅ0 हरि सिंह गौर की जयंती मनाई गयी।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन तथा सरस्वती पूजन के साथ प्रारंभ हुआ। इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्था के संस्थापक कुलगुरू, डाॅ0 अनिल कुमार तिवारी ने कहा कि-भारत के महान शिक्षाविदों में डाॅ0 हरिसिंह गौर का नाम अत्यंत सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत धन से देश को मध्य भारत का पहला विश्वविद्यालय-डाॅ0 हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर-उपहार स्वरूप दिया, जो आज भी हजारों विद्यार्थियों के सशक्त भविष्य का आधार है। शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान केवल संस्थान निर्माण तक सीमित नहीं था। वे शिक्षा को स्वतंत्रता, समानता और प्रगति का सबसे सशक्त साधन मानते थे। उन्होंने अनुसंधान, उच्च शिक्षा और सामाजिक उत्थान को एक साथ जोड़ते हुए आधुनिक भारत की शैक्षिक नींव को मजबूत किया। एक प्रखर शिक्षाविद के रूप में उनकी दूर दृष्टि आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। वक्तव्य की अगली श्रृंखला में उपकुलाधिपति-आदित्य प्रखर तिवारी ने कहा कि-डाॅ0 हरि सिंह गौर एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिनका जीवन शिक्षा, समर्पण और राष्ट्र निर्माण का अद्भुत उदाहरण है। सागर के साधारण वातावरण से निकलकर उन्होंने अपने परिश्रम, मेधा और दृष्टिकोण से शिक्षा की ज्योति को पूरे देश में फैलाया। उच्च आदर्शों, नैतिक मूल्यों और मानवीय संवेदनाओं से भरे डाॅ0 गौर वास्तव में उन विभूतियों में से थे जिन्होंने शिक्षा को केवल ज्ञान का साधन नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का माध्यम माना। उनका व्यक्तित्व विनम्रता, उदारता और दूर दृष्टि से परिपूर्ण था, जिससे वे सभी के लिए प्रेरणा-स्तंभ बने। वक्तव्य की अगली श्रृंखला में प्रान्तीय सदस्य अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद-कु0 सौम्या तिवारी ने कहा कि-असतो मा सदग्मय-अज्ञान के अंधकार से मुझे ज्ञान के प्रकाश की ओर ले चलो। असत्य और भ्रम से मुझे सत्य और सद्मार्ग की ओर ले चलो। अपने वक्तव्य के माध्यम से ऐसे विचार प्रकट किये, और कहा कि राष्ट्र के प्रति डाॅ0 हरिसिंह गौर का योगदान अमूल्य है, इसलिए आज भी उनकी जयंती हमें उनके आदर्शों पर चलने और शिक्षा के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने की प्रेरणा देती है। वक्तव्य की अगली श्रृंखला में अधिष्ठाता-डाॅ0 शैलेन्द्र पाटिल ने कहा कि-डाॅ0 हरिसिंह गौर की महानता उनके कार्यों, त्याग और समाज को दी गई अनुपम देन में निहित है। उन्होंने आर्थिक-सामाजिक चुनौतियों के बावजूद शिक्षा और समाजसेवा को अपना जीवन समर्पित किया। सागर विश्वविद्यालय जैसी भव्य संस्था का निर्माण उनके व्यक्तित्व की महानता और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है।

कार्यक्रम का आभार ज्ञापन कुलगुरू-डाॅ0 ध्रुव कुमार द्विवेदी द्वारा किया गया। अधिष्ठाता-डाॅ0 सुनीता जैन, डाॅ0 मनीष मिश्रा, डाॅ0 सुकदेव वाजपेयी, डाॅ0 सुनीता दीक्षित, केप्टन पी0के0 दत्ता एवं सभी प्राध्यापक, छात्र-छात्राओं की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया। कल्याण मंत्र एवं डाॅ0 गौर अमर रहे के नारे के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।